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पूनम शर्मा
9 जून 2025 को यूक्रेन द्वारा रूस के चुवाशिया क्षेत्र के चेबोक्सारी स्थित वीएनआईआईआर-प्रोग्रेस संयंत्र पर किया गया ड्रोन हमला, यूक्रेन-रूस संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत देता है। यह हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि युद्ध की बदलती प्रकृति, यूक्रेन की बढ़ती क्षमताओं और क्षेत्रीय अस्थिरता की संभावनाओं को उजागर करता है। वीएनआईआईआर-प्रोग्रेस संयंत्र, जो इस्कंदर और कालिब्र मिसाइल प्रणालियों के साथ-साथ शाहेद-प्रकार के ड्रोन के लिए महत्वपूर्ण घटकों का उत्पादन करता है, रूस के सैन्य-औद्योगिक परिसर की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इस पर हमला करके, यूक्रेन ने रूसी युद्ध मशीन की आपूर्ति श्रृंखला को सीधे निशाना बनाने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।
इस हमले में कम से कम दो एएन-196 ल्यूटी ड्रोन का इस्तेमाल किया गया, जिसने इस कार्रवाई को और भी उल्लेखनीय बना दिया है। ल्यूटी एक यूक्रेनी-विकसित लंबी दूरी का मानवरहित हवाई वाहन है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 1,000 किलोमीटर है। यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि यूक्रेन अब न केवल पश्चिमी सहयोगियों से प्राप्त हथियारों पर निर्भर है, बल्कि उसने अपनी स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों में भी उल्लेखनीय निवेश और नवाचार किया है। लंबी दूरी के ऐसे ड्रोन का विकास और सफल तैनाती दर्शाती है कि यूक्रेन अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए कितना प्रतिबद्ध है और रूसी सैन्य अभियानों को बाधित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। यह हमला महज संयोग नहीं, बल्कि यूक्रेन की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसके तहत वह रूसी सैन्य बुनियादी ढांचे को लगातार निशाना बना रहा है। 1 जून को ‘ऑपरेशन स्पाइडर वेब’ के तहत कई रूसी एयरबेस पर समन्वित ड्रोन हमलों से कई सैन्य विमानों को हुए नुकसान से यह रणनीति और भी स्पष्ट हो जाती है।
ये हमले यूक्रेन के लचीलेपन और युद्ध में अनुकूलन करने की क्षमता को दर्शाते हैं। नाटो या अमेरिका की सीधी सैन्य भागीदारी के बिना भी, यूक्रेन अपने संसाधनों और नवाचार का उपयोग करके रूस पर दबाव बनाए हुए है। यह दिखाता है कि आधुनिक युद्ध में तकनीकी श्रेष्ठता और रणनीतिक सोच कितनी महत्वपूर्ण हो गई है। पारंपरिक सैन्य टकराव के बजाय, अब ‘असममित युद्ध’ की रणनीति अधिक प्रभावी साबित हो रही है, जहां छोटे और अधिक फुर्तीले देश बड़े सैन्य शक्तियों के खिलाफ ड्रोन और साइबर हमलों का उपयोग कर सकते हैं।
हालांकि, इन कार्रवाइयों के गहरे निहितार्थ भी हैं। एक ओर, ये यूक्रेन की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करते हैं, वहीं दूसरी ओर, ये संघर्ष की बढ़ती प्रकृति और क्षेत्रीय अस्थिरता की संभावना को भी उजागर करते हैं। जैसे-जैसे यूक्रेन रूस के आंतरिक क्षेत्रों में गहरे हमले करने की क्षमता विकसित करता है, जवाबी कार्रवाई और संघर्ष के बढ़ने का खतरा भी बढ़ता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय वैश्विक सुरक्षा के व्यापक निहितार्थों के प्रति सतर्क है। रूस की प्रतिक्रिया क्या होगी? क्या वह अपने स्वयं के ड्रोन हमलों या अन्य सैन्य कार्रवाइयों को तेज करेगा? क्या इससे संघर्ष यूक्रेन की सीमाओं से बाहर फैल सकता है? ये ऐसे प्रश्न हैं जिनके उत्तर आने वाले समय में स्पष्ट होंगे।
इसके अलावा, ये घटनाएं ड्रोन तकनीक के युद्ध के मैदान पर बढ़ते प्रभुत्व को भी रेखांकित करती हैं। कम लागत वाले, प्रभावी और दूर से नियंत्रित होने वाले ड्रोन अब सैन्य अभियानों का एक अभिन्न अंग बन गए हैं। वे टोही से लेकर सटीक हमलों तक विभिन्न भूमिकाओं में उपयोग किए जा रहे हैं, और युद्ध के परिणामों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
निष्कर्षतः, चेबोक्सारी पर हुआ ड्रोन हमला केवल एक सैन्य घटना नहीं है; यह यूक्रेन-रूस संघर्ष के एक नए चरण की शुरुआत का प्रतीक है। यह यूक्रेन की बढ़ती सैन्य आत्मनिर्भरता, उसकी रणनीतिक सूझबूझ और आधुनिक युद्ध में प्रौद्योगिकी की केंद्रीय भूमिका को दर्शाता है। हालांकि, यह वैश्विक सुरक्षा के लिए चुनौतियों और संघर्ष के बढ़ने की संभावना को भी सामने लाता है, जिस पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गंभीरता से विचार करना होगा।
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