औद्योगिक संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024–25 में भारत में आए कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का 51% हिस्सा सिर्फ दो राज्यों—महाराष्ट्र और कर्नाटक—को प्राप्त हुआ है। यह क्षेत्रीय निवेश परिदृश्य में एक अहम बदलाव को दर्शाता है।
राज्यवार FDI वितरण
राज्य | एफडीआई निवेश (एफवाई 2024–25) | राष्ट्रीय एफडीआई में हिस्सा |
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महाराष्ट्र | US $19.6 अरब | 31% |
कर्नाटक | US $6.62 अरब | ~10% |
भारत कुल | US $81.04 अरब | – (14% वार्षिक वृद्धि) |
अन्य उल्लेखनीय राज्य:
दिल्ली: US $6 अरब
गुजरात: US $5.71 अरब
तमिलनाडु: US $3.68 अरब
हरियाणा: US $3.14 अरब
तेलंगाना: US $3 अरब
भारत का कुल एफडीआई US $81.04 अरब रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 14% की वृद्धि दर्शाता है—पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक।
महाराष्ट्र और कर्नाटक क्यों अग्रणी हैं?
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बुनियादी ढांचे की उत्कृष्टता: मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में सड़क, बिजली, बंदरगाह, लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक हब का व्यापक विकास निवेशकों का विश्वास बढ़ा रहा है।
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सशक्त अर्थव्यवस्था और नवाचार इकोसिस्टम: महाराष्ट्र भारत का वित्तीय केंद्र है जहां एनएसई, बीएसई जैसे संस्थान और कई वैश्विक कंपनियां स्थित हैं। कर्नाटक सूचना प्रौद्योगिकी और बायोटेक का हब है, जहां बेंगलुरु में कई R&D केंद्र मौजूद हैं।
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नीतिगत सुधार और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण: दोनों राज्यों ने व्यापार को सरल बनाने, भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को आसान करने और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।
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राष्ट्रीय और वैश्विक आर्थिक गति: केंद्र सरकार की उद्योग समर्थक नीतियों और वैश्विक अस्थिरता के चलते भारत में निवेश प्रवाह बढ़ा है, और महाराष्ट्र व कर्नाटक को इसका सबसे अधिक लाभ मिला है।
ज़मीन से प्रतिक्रियाएं
एक वरिष्ठ विश्लेषक ने कहा: “बुनियादी ढांचे में जबरदस्त सुधार हुआ है और इसी कारण ये राज्य विदेशी निवेश के लिए आकर्षक बन गए हैं।”
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा: “भारत में रिकॉर्ड एफडीआई निवेश हमारी पारदर्शी नीतियों, सुगम व्यापार प्रणाली और दीर्घकालिक आर्थिक विश्वास का प्रमाण है।”
प्रभाव और भविष्य की दिशा
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क्षेत्रीय असंतुलन में वृद्धि: आधे से अधिक निवेश दो राज्यों तक सीमित है, जिससे अन्य राज्यों पर बुनियादी ढांचा सुधारने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने का दबाव है।
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रोजगार और नवाचार को प्रोत्साहन: इन निवेशों के जरिए महाराष्ट्र और कर्नाटक में आईटी, निर्माण, वित्त, बायोटेक जैसे क्षेत्रों में हज़ारों रोजगार सृजित होंगे।
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राष्ट्रीय जीडीपी को बल: महाराष्ट्र का GSDP ₹42.67 लाख करोड़ और कर्नाटक का ₹28.13 लाख करोड़ है। दोनों मिलकर भारत की जीडीपी में ~22% का योगदान करते हैं।
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अन्य राज्यों के लिए प्रतिस्पर्धा: दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, तेलंगाना जैसे राज्य अब नीति, अवसंरचना और निवेश प्रचार में तेजी लाएंगे।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
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वैश्विक विश्वास की पुष्टि: US $81 अरब का एफडीआई यह दर्शाता है कि दुनिया भारत को दीर्घकालिक निवेश के लिए एक भरोसेमंद गंतव्य मान रही है।
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रणनीतिक स्थिति मजबूत: महाराष्ट्र और कर्नाटक अब भारत के निवेश मानचित्र पर सबसे अग्रणी केंद्र बन चुके हैं।
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अन्य राज्यों के लिए मॉडल: इनकी सफलता का ढांचा भारत के अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।
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