भारत की पहली जाति-आधारित डिजिटल जनगणना 1 मार्च 2027 से शुरू होगी

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समग्र समाचार सेवा                                                                                                                                                                                                                             नई दिल्ली 4 जून : केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि भारत की अगली जनगणना 1 मार्च 2027 से शुरू होगी, जिसमें पहली बार जाति-आधारित आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा। यह जनगणना पूरी तरह से डिजिटल प्रारूप में होगी और दो चरणों में आयोजित की जाएगी। इसके अंतर्गत, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे विशेष क्षेत्रों में यह प्रक्रिया अक्टूबर 2026 से ही प्रारंभ हो जाएगी।

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, जनगणना 2027 के लिए मोबाइल ऐप और पोर्टल पहले ही विकसित किए जा चुके हैं, जिनके माध्यम से आंकड़ों का संकलन और निगरानी की जाएगी। यह भारत की पहली डिजिटल जनगणना होगी, जो तकनीक आधारित, पारदर्शी और त्वरित डेटा संग्रह को सुनिश्चित करेगी।

गौरतलब है कि पिछली जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन COVID-19 महामारी के कारण इसे अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब केंद्र सरकार ने राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में यह निर्णय लिया कि अगली जनगणना में जातीय आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे।

इससे पहले बिहार, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में राज्यस्तरीय जातिगत सर्वेक्षण किए जा चुके हैं। कर्नाटक सरकार 2015 में किए गए सर्वेक्षण के आंकड़े सार्वजनिक करने पर विचार कर रही है।

भारत में पहली बार 1881 में एक साथ राष्ट्रीय जनगणना की गई थी और तब से हर दस वर्षों में यह प्रक्रिया होती आ रही है। जनगणना डेटा का उपयोग नीतियों के निर्माण, संसाधनों के आवंटन, संसदीय क्षेत्रों के निर्धारण और सामाजिक कल्याण योजनाओं की प्रभावशीलता मापने के लिए किया जाता है।

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