गाजियाबाद में सनसनी! CA और दोस्तों को फर्जी रेप केस में फंसाने वाली लड़की गिरफ्तार, निकली कुख्यात गैंगस्टर संजय सूरी की गैंग की मेंबर!

इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस महकमे से लेकर आम जनता तक को हिला कर रख दिया है।

गिरफ्तार लड़की, जो पहली नजर में एक सामान्य कॉलेज स्टूडेंट की तरह लगती थी, असल में गैंगस्टर संजय सूरी की ब्लैकमेलिंग यूनिट का अहम हिस्सा थी। पुलिस के अनुसार, यह गिरोह हाई-प्रोफाइल पेशेवरों और बिजनेसमैन को पहले दोस्ती के जाल में फंसाता, फिर उनके खिलाफ झूठे यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ या बलात्कार के केस दर्ज करवाकर बड़ी रकम वसूलता था।

इस केस में भी लड़की ने CA और उसके दो दोस्तों पर छेड़छाड़ और गैंगरेप की धमकी भरी FIR दर्ज करवाई थी, लेकिन जब पुलिस ने कॉल रिकॉर्ड, CCTV और डिजिटल चैट्स खंगाले — तो पूरा खेल सामने आ गया।

पुलिस अफसरों ने बताया कि लड़की बेहद स्मार्ट और पढ़ी-लिखी थी। उसने पहले सोशल मीडिया पर CA से संपर्क किया, फिर उसे “दोस्ती” और “बिजनेस मीटिंग” के नाम पर होटल बुलाया। बाद में उसी मीटिंग को “दुष्कर्म” का नाम देकर केस दर्ज करवा दिया गया।

एसपी सिटी गाजियाबाद बोले:

“यह लड़की कोई आम ब्लैकमेलर नहीं थी, बल्कि एक संगठित अपराध सिंडिकेट का हिस्सा थी। हम गैंग के अन्य सदस्यों की तलाश में हैं।”

संजय सूरी नाम का यह गैंगस्टर NCR के कई जिलों में सक्रिय है, जिसकी पहचान “फर्जी केस से वसूली” करने वाले गिरोह के सरगना के तौर पर है। उसके गैंग में कई लड़कियां हैं जो हाई-प्रोफाइल दिखावे और सोफिस्टिकेटेड चाल-ढाल से शिकार को चकमा देती हैं।

इस गैंग का नेटवर्क दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद से लेकर गुरुग्राम तक फैला हुआ है और इसके तार पुलिस, वकीलों और कुछ रसूखदार लोगों तक भी जुड़ते बताए जा रहे हैं।

जब पूरे मामले का सच उजागर हुआ, तो पुलिस ने CA और उसके दोस्तों को क्लीन चिट दी और झूठा मुकदमा दर्ज करवाने वाली युवती को आईपीसी की धारा 211 (झूठी FIR) और 389 (ब्लैकमेलिंग) के तहत जेल भेज दिया। साथ ही गैंगस्टर एक्ट भी लगाने की तैयारी चल रही है।

इस सनसनीखेज मामले ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। सवाल उठता है कि क्या अब अपराधी महिलाएं भी झूठे यौन उत्पीड़न के केस को हथियार बना चुकी हैं? क्या कानून के नाम पर शरीफ नागरिकों को फंसाकर उनसे पैसा ऐंठना ‘संगठित व्यापार’ बन चुका है?

गाजियाबाद का यह मामला सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि भरोसे, कानून और नैतिकता पर हमला है। यह चेतावनी है कि अपराध अब केवल बंदूक या चाकू से नहीं, बल्कि झूठे आरोपों और डिजिटल चालों से भी किया जा रहा है। पुलिस ने एक गिरोह का चेहरा जरूर बेनकाब किया है, लेकिन असली जंग तो अब शुरू हुई है — सच और साजिश के बीच!

Comments are closed.