नई दिल्ली,13 मई । भारत ने स्टील और एल्युमीनियम पर अमेरिकी टैरिफ के जवाब में वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के नियमों के मुताबिक रीटेलिएटरी यानी जवाबी शुल्क लगाने की बात कही है। अमेरिका अपने बिजनेस सेफ्टी का हवाला देते हुए इन प्रोडक्ट्स पर 2018 से टैरिफ वसूल रहा है।
WTO के अनुसार, इससे भारतीय उत्पाद के 7.6 बिलियन डॉलर (करीब ₹64,512 करोड़) के आयात पर असर पड़ेगा, जिसमें करीब 1.91 बिलियन डॉलर (करीब ₹16,213 करोड़) का ड्यूटी है।
2018 में लगाया था 25% ड्यूटी
23 मार्च 2018 को अमेरिका ने भारत के स्टील प्रोडक्ट्स पर 25% और एल्युमीनियम प्रोडक्ट्स पर 10% टैरिफ लगाया था। जनवरी 2020 में इसे आगे के लिए बढ़ा दिया था।
इस साल 10 मई को अमेरिका ने इंपोर्ट ड्यूटी को रिवाइज कर दोनों उत्पादों (एल्युमिनियम और स्टील) पर 25% कर दिया, जो कल यानी 12 मई से लागू है।
भारत ने WTO को बताया है कि स्टील, एल्युमीनियम और संबंधित उत्पादों पर अमेरिकी सुरक्षा उपायों के जवाब में कुछ रियायतों को समाप्त कर देगा।
अमेरिका बोला- राष्ट्रीय सुरक्षा को देखकर टैरिफ लगाया
इससे पहले अप्रैल में भारत ने नए टैरिफ लगाने के अमेरिकी फैसले के बाद WTO के सेफ गार्ड एग्रीमेंट के तहत अमेरिका से बातचीत करने की बात कही थी।
इसके जवाब में अमेरिका ने WTO को बताया कि टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लगाए गए थे, उन्हें सेफ गार्ड उपायों के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। हालांकि, WTO ने अमेरिकी टैरिफ को सेफ गार्ड उपाय माना है।
टैरिफ क्या होता है?
टैरिफ दूसरे देश से आने वाले सामान पर लगाया जाने वाला टैक्स है। जो कंपनियां विदेशी सामान देश में लाती हैं, वे सरकार को ये टैक्स देती हैं। इसे एक उदाहरण से समझिए…
- टेस्ला का साइबर ट्रक अमेरिकी बाजार में करीब 90 लाख रुपए में बिकता है।
- अगर टैरिफ 100% है तो भारत में इसकी कीमत करीब 2 करोड़ हो जाएगी।
रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब क्या है?
रेसिप्रोकल का मतलब होता है- तराजू के दोनों पलड़े को बराबर कर देना। यानी एक तरफ 1 किलो भार है तो दूसरी तरफ भी एक किलो वजन रख कर बराबर कर देना।
ट्रम्प इसे ही बढ़ाने की बात कर रहे हैं। यानी भारत अगर कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर100% टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उस तरह के प्रोडक्ट्स पर 100% टैरिफ लगाएगा।
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