प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक एवं जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. सुनील राजन एवं विश्वविख्यात डॉ. डगलस द्वारा जोड़ प्रत्यारोपण क्षेत्र में नया अध्याय

प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक एवं जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. सुनील राजन एवं विश्वविख्यात डॉ. डगलस द्वारा जोड़ प्रत्यारोपण क्षेत्र में नया अध्याय l

इंदौर 10 अगस्त -प्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक एवं जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. सुनील राजन द्वारा अपोलो हॉस्पिटल में संपूर्ण जोड़ प्रत्यारोपण शल्यक्रियाएँ की गयी. ये सर्जरीस एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी के जाने माने ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. डगलस क्लाउस की उपस्थिति में सपन्न की गयी. डॉ. क्लाउस लम्बे समय से यूनाइटेड स्टेट्स में प्रॅक्टिसरत कर चुके है और विजिट के दौरान उन्होंने जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी से सम्बंधित अपना ज्ञान और अनुभव साँझा किया।

डॉ. डगलस ने घुटना एवं कूल्हा आर्थराइटिस के मरीज़ो के इलाज का  अपना २० वर्षो से अधिक का अनुभव साँझा किया, विशेष तौर पर उनका, जिन्हे बड़ी, असामान्य अथवा कॉम्प्लिकेटेड समस्याएं थी, जो भारत / एशिया में बहुतायत में होती है. उन्होंने यू एस  के मरीज़ो का भी ज़िक्र किया जिन्हे घुटना एवं कूल्हा सम्बन्धी तकलीफ थी, साथ ही उन्होंने चिकित्सा में आने वाली कठिनाईयों जैसे प्रमुखरूप से मोटापा इत्यादि के बारे में भी विस्तार से चर्चा की. डॉ. डगलस ने सर्जरी में प्रयुक्त होने वाली अत्याधुनिक तकनीक और उनके द्वारा यू एस में प्रयोग की गयी तकनीक के बारे में बताया ।

इस अवसर पर डॉ. राजन और डॉ. डगलस ज्ञान को साँझा करने के एक नए अध्याय में प्रवेश कर रहे है | डॉ. राजन ने बताया कि जोड़ प्रत्यारोपण के क्षेत्र में हमारा उद्देश्य विशेषज्ञता और अनुभव का नियमित रूप से और लम्बे समय के लिए विशेषज्ञ डॉ. डगलस  के साथ आदान प्रदान करना है. जो हमें उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर घुटना और कूल्हा प्रत्यारोपण के मरीज़ो को और बेहतर सेवा प्रदान करने में सहायक होगा।  डॉ राजन ने आगे कहा कि नवीनतम तकनीक और अनुभवी सर्जिकल योग्यता से प्रत्यारोपण कर हम मरीज़ो को बेहतर जीवन उपलब्ध करवा सकते है.

विदित हो की घुटने हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग है जिन पर संपूर्ण शरीर का भार और संतुलन निर्भर करता है. इनकी सहायता से हम खड़े रहना, बैठना, घूमना, दौड़ना इत्यादि गतिविधियां कर पाते है. ये एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि पश्चिमी देशो की तुलना में भारतीय मरीज़ों के घुटनों का साइज़ और बनावट भिन्न होती है. भारतीय जीवन शैली के अनुसार घुटनो का जोड़ १५० डिग्री तक कार्यान्वित रहता है जिस कारण  मरीज़ की संरचना के आधार पर भारतीय डॉक्टरों को प्रत्यारोपण हेतु अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. डॉ. डगलस कहते है कि मरीज़ो को बेहतर जीवन शैली उपलब्ध करने के लिए आज हमारे पास मॉडर्न तकनीक जिसे फ्रीडम नी कहते है जिसे सफलतम रूप से लखनऊ में प्रत्यारोपित कर उपयोग में लाया गया, उपलब्ध है. फ्रीडम नी विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है जो हड्डियों की रक्षा करने के साथ फ्लेक्सिबिलिटी में भी बेहतर रूप से कार्य करता है. इसे यूएसए में निर्मित किया गया है और यह यूएस एफ डी ए द्वारा मान्य भी है. यह डिज़ाइन लखनऊ सहित संपूर्ण भारत के मरीज़ो के लिए वरदान स्वरुप है |  

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