पीवीसी पाइप में उपयोग होने वाला सीसा कर रहा है मानव स्वास्थ्य को प्रभावित : एनजीटी

पीवीसी पाइप में उपयोग होने वाला Lead कर रहा है मानव स्वास्थ्य को प्रभावित – एनजीटी

आमतौर पर इस्तेमाल हो रहे पीवीसी पाइप से गुजरने वाले पानी में सीसा जैसे टोक्सिक पदार्थ पाए जाते हैं, जो मानव स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव डालते हैं l राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एनजीटी ) ने पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ) को बताया है कि पॉलि विनील क्लोराइड (पीवीसी) पाइप निर्माताओं को आदेश दिया जाए कि उत्पादों को चेतावनी लेबल के साथ ही बेचा जाए, जिससे लोगों में पॉलिविनील क्लोराइड पाइप के दुष्प्रभाव को लेकर जागरूकता बढ़े कि सीसा युक्त पाइप मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं l

एनजीटी बेंच के कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए गए जस्टिस यू डी साल्वी ने यह निर्देश जारी किया है कि चेतावनी लेबल के साथ ही पीवीसी पाइप बेचा जाए l प्रमुख पीवीसी पाइप निर्माता जैसे :- फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज, सुप्रीम इंडस्ट्रीज, जैन इरिगेशन, एस्ट्रल पाइप्स आदि इस आदेश से काफी हद तक प्रभावित हो सकते हैं l

पीवीसी पाइप और पैकेजिंग लेबल्स पर चेतावनी के संकेत को प्रकाशित करना एक अंतरिम आदेश है जिसे एनजीटी (एमओईएफ के दिशानिर्देश) द्वारा जारी किया गया है ताकि उपभोक्ताओं को बिना किसी देरी के पीवीसी पाइप की संभावित विषाक्तता की जानकारी मिल सके। सीसे का खतरनाक प्रभाव मानव स्वास्थ्य, वनस्पतियों और जीवों पर भी वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध किया जा चुका है और विश्व स्तर पर इसे भी स्वीकार किया गया है । जबकि उपभोक्ताओं का एक बड़ा हिस्सा मेटल के उपयोग से हो रहे विषाक्तता और स्वास्थ्य संबंधी खतरों से अवगत है, लेकिन वे पीवीसी पाइपों में इसके उपयोग से अनजान हैं।

बीते वर्ष मई 2017 में, सीसा प्रदूषण के कारण होने वाले नुकसान की सीमा को समझा गया और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) बेंच ने एमओईएफ को पीवीसी पाइप का निर्माण में सीसे के उपयोग के लिए गुणवत्ता मानकों को निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सरकार को एक कार्यक्रम क्रियान्वित करने का आदेश दिया है जिसमें पाइप में सीसे के इस्तेमाल के बचाव के बारे में बात की जाए, यह एक तरह का जागरूकता अभियान होगा l यह निर्देश पीवीसी पाइप के अधिक जिम्मेदार और पर्यावरण-अनुकूल निर्माण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा ।

24 जनवरी 2018 को मंत्रालय ने बेंच को सूचित किया कि आने वाले 6 महीने में सीसा रहित पीवीसी पाइपों के निर्माण के लिए एक रोडमैप तैयार किया जाएगा साथ ही “स्पिरिट और सब्सटैन्स” सुनिश्चित करेगा । यह एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है जिसने हमें भारत में सीसे के उपयोग से हो रहे प्रदूषण और घातक परिणामों की विस्तृत जानकारी प्रदान की है l क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया द्वारा की गई भारत के 26 शहरों की रिसर्च में पाया गया है कि पानी के 33% और 370 सैम्प्ल्स में सीसे की मात्रा बहुत आधिक थी l पीवीसी पाइप के माध्यम से पहुंचाया गया पानी दूषित है।

सिर्फ एक चेतावनी मात्र को प्रकाशित करने से पीवीसी पाइप के उपयोग को रोक पाना संभव नहीं होगा l निर्माताओं और वितरकों को उपभोक्ताओं को बिक्री के दौरान सीसा रहित पीवीसी पाइप की उपलब्धता की जानकारी देनी होगी l इसके बाद ही उपभोक्ता को ठीक तरह से ये बताया जा सकेगा कि यह उनके स्वास्थ्य, पर्यावरण और भविष्य के लिए हानिकारक है l

भारतीय पीवीसी पाइप निर्माताओं से उम्मीद की जाती है कि वह अपनी इच्छा से अपने पीवीसी पाइप निर्माण के क्षेत्र में स्टेबलाइज़र के रूप में सीसा के इस्तेमाल को बंद करके देश के विकास में सहयोग करें । पिछले कई वर्षों से संपूर्ण विश्व में ज्यादातर निर्माताओं ने ज़हरीले सीसे के इस्तेमाल को ख़त्म कर इको-फ्रेंडली ग्रीन स्टेबलाइजर का उपयोग शुरू कर लिया है और यह भारतीय पीवीसी उद्योग के लिए भी जरूरी है कि इसे जल्द ही अपनाया जाए l

 

Comments are closed.