जिला कौशल विकास योजना (डीएसडीपी) पुरस्कारों के दूसरे संस्करण में कौशल विकास में आदर्श योजना के लिए 30 जिलों को सम्मानित किया गया

देश भर के 700 जिलों में से 467 जिलों ने जिला कौशल विकास योजना (डीएसडीपी) पुरस्कारों में भाग लिया

राजकोट, कछार और सतारा क्रमश: शीर्ष तीन जिले रहे

जिला कौशल विकास योजना में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार (डीएसडीपी) का दूसरा संस्करण आज नई दिल्ली के डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में आयोजित किया गया, जहां शीर्ष 30 जिलों को अपने क्षेत्र में कौशल विकास में उनके अभिनव सर्वोत्तम अभ्यासों के लिए सम्मानित किया गया। इसमें शामिल सभी जिलों में गुजरात का राजकोट, असम का कछार और महाराष्ट्र का सतारा जिला क्रमशः शीर्ष तीन में रहे।

इस पुरस्कार समारोह में 30 राज्यों के जिला कलेक्टरों, जिलाधिकारियों और अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अपने विचारों तथा अनुभवों को साझा किया। उन्होंने अपने-अपने जिलों में जमीनी स्तर पर किए गए कौशल विकास कार्यों को भी प्रस्तुत किया। तीस जिलों का चयन किया गया और निम्नलिखित तीन श्रेणियों के तहत पुरस्कार दिए गए:

श्रेणी I: जिला कौशल विकास योजना में उत्कृष्टता के लिए 8 पुरस्कार

श्रेणी II: जिला कौशल विकास योजना में उत्कृष्टता के लिए 13 प्रमाण पत्र

श्रेणी III: 9 जिला कौशल विकास योजना के लिए प्रशंसा पत्र

बाद में एक संवादात्मक सत्र में, अधिकारियों ने केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री (एमओएस) श्री राजीव चंद्रशेखर से मुलाकात की और अपने क्षेत्र में किए गए सर्वोत्तम अभ्यासों तथा कार्यों के बारे में बताया।

केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने जिला कलेक्टरों, जिलाधिकारियों और अन्य अधिकारियों को कुशल कार्यबल की मांग की मैपिंग तैयार करने और स्थानीय स्तर पर कौशल विकास पहल के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि कौशल हासिल करना एक आजीवन प्रक्रिया है और जिला कलेक्टरों को कौशल विकास की पूरी निरंतरता को आगे बढ़ाना चाहिए तथा जिला स्तर पर अभिनव योजना के माध्यम से कौशल विकास परितंत्र को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए।

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने सभी प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि कौशल विकास के लिए सभी योजनाओं को स्थानीय अर्थव्यवस्था से जोड़ा जाना चाहिए और आत्मनिर्भर जिलों के निर्माण के माध्यम से ही आत्मनिर्भर भारत का मार्ग बनेगा।

 

श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ये पुरस्कार एक सहायक कौशल परितंत्र बनाने के केंद्र के लक्ष्‍य को दर्शाते हैं जहां बहु-कौशल के अवसरों ने ‘ग्राम इंजीनियरों’ को उभरने का मौका दिया और इस तरह आजीविका के अवसरों में वृद्धि हुई। उन्होंने बताया कि कौशल नियोजन के पीछे के विज्ञान और पद्धति का उद्देश्य कौशल प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या बढ़ाकर तथा नौकरी के कई अवसरों के रास्ते बनाकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को उत्प्रेरित करना होना चाहिए।

प्रौद्योगिकी की हालिया भूमिका के आलोक में, जिलों को दोनों मंत्रियों की ओर से कौशल विकास की दिशा में एक उर्ध्वगामी (बॉटम अप- नीचे से उपर की ओर) सोच अपनाने की सलाह दी गई।

सूक्ष्म-कार्यान्वयन के लिए प्रधानमंत्री की सूक्ष्म -नियोजन के दृष्टिकोण से निर्देशित, डीएसडीपी पुरस्कार राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कौशल विकास योजना के साथ जिला योजनाओं को एकीकृत करने में डीएससी के लिए एक गाइड के रूप में कार्य करते हैं।

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के सचिव राजेश अग्रवाल ने जिलों के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि भारत अपने अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा उठाते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के विश्व की कौशल राजधानी बनने के विज़न को पूरा करने की राह पर है। अधेड़ आबादी वाले कई देश कुशल कामगारों के लिए भारत पर निर्भर हैं और वैश्विक कंपनियां भारत में कारोबार शुरू करने की इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि देश के युवाओं का कौशल बढ़ाने (स्किल), उनके  कौशल को धार देने (रिस्किल) और उनके कौशल को और आधुनिक बनाने (अपस्किल) की तत्काल आवश्यकता है और जिले इस मिशन को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को वैश्विक परिदृश्य पर नजर रखने और उसके अनुसार अपने कौशल विकास कार्यक्रमों को तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने आगे कहा कि उच्च मूल्य संवर्धन अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए जिलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रशिक्षित युवाओं को भी इस प्रक्रिया में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो। उन्होंने डीएसडीपी पुरस्कारों के सभी विजेताओं को बधाई दी और कार्यात्मक और नवीन योजनाओं को बनाने में उनके उत्कृष्ट प्रयासों की सराहना की।

विजेता जिलों में, गुजरात के राजकोट डीएससी ने जिले में कौशल विकास को बढ़ाने के लिए कई परियोजनाओं को लागू किया है। दिव्यांग लोगों (पीडब्ल्यूडी) को कुशल बनाने पर अधिक ध्यान देने के साथ राजकोट जिले ने सीखने में अक्षम और मानसिक विकार से ग्रस्ता दिव्यांग लोगों की काफी मदद की।

भंडार और उपयोग होने तक की कम अवधि और उच्च परिवहन लागत के कारण असम के कछार जिले के अनानास किसानों को आपूर्ति श्रृंखला में बड़ी मुश्किलें आती थी, जिससे उन्हें बड़ी मात्रा में फलों का सस्ते में निपटान करने और उन्हें बाजार मूल्य पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा। स्थानीय स्तर पर अनानास उत्पादों के निर्माण के लिए एक प्रसंस्करण इकाई स्थापित करके कछार डीएससी समस्या के समाधान के लिए एक त्वरित समाधान लेकर आया है। इससे किसानों को अनानास को एक बार फिर से आकर्षक लाभ पर बेचने के लचीलापन और मोलभाव करने की क्षमता मिली।

महाराष्ट्र के सतारा में डीएससी ने आपदा प्रबंधन के लिए कौशल को मजबूत करने और कार्यबल को प्रशिक्षित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को लागू किया। जिले के पास कोविड के दौरान प्रभावित महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण के साथ सशक्त बनाने की जिम्मेदारी भी है।

कौशल विकास के क्षेत्र में जिलों द्वारा किए गए असाधारण और अभिनव कार्यों को विकेन्द्रीकृत योजना को बढ़ावा देने, स्वीकार करने और पुरस्कृत करने के लिए जून 2018 में एमएसडीई द्वारा आजीविका संवर्धन के लिए कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता (“संकल्प”) के तहत डीएसडीपी पुरस्कार शुरू किए गए थे। पहला डीएसडीपी पुरस्कार समारोह 2018-19 में आयोजित किया गया था, जिसमें 19 राज्यों के 228 जिलों ने इस पहल में भाग लिया था। इसमें उन जिलों को पुरस्कारों के लिए चुना गया जिन्‍होंने कौशल विकास पहल के साथ नवाचार को बढ़ावा देते हुए स्थानीय आजीविका को सक्षम करने का काम किया था।

एमएसडीई की सोच है कि ये पुरस्कार सभी जिला कौशल समितियों (डीएससी) को प्रोत्साहित करेंगे और जिला स्तर पर लक्षित परियोजनाओं को लागू करने के लिए क्षमताओं का उपयोग करके डीएसडीपी के बारे में बेहतर समझ को बढ़ावा देंगे। परियोजना का उद्देश्य संकल्प की प्राथमिक पहल के प्रभाव को अधिकतम करना है, जो राज्य और जिला स्तर पर कौशल विकास के लिए संस्थागत तंत्र को मजबूत करेगा है।

 

पुरस्कार प्रविष्टियों का मूल्यांकन करने के लिए आईआईटी दिल्ली और आईआईटी खड़गपुर को आंकलन भागीदार के रूप में चुना गया।

Comments are closed.