2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता कार्य योजना पर 2-दिवसीय दक्षिण एशियाई परामर्श बैठक शुरू

भारत ने जीईएफ और सीबीडी से वित्त पोषण के नवीन तरीकों की मांग की

“विनाश के बिना विकास” के दर्शन के अंतर्गत आर्थिक विकास के सभी क्षेत्रों में जैव विविधता संरक्षण को मुख्यधारा में शामिल किया जा रहा है – श्री भूपेंद्र यादव

2020 के बाद वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क पर दक्षिण एशियाई परामर्श की दो दिवसीय बैठक आज नई दिल्ली में आयोजित की गई। बैठक में बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के अलावा जैविक विविधता सम्मेलन, मॉन्ट्रियल के सचिवालय के प्रतिनिधियों; वैश्विक पर्यावरण केंद्र, वाशिंगटन; नई दिल्ली में फ्रांसीसी दूतावास; यूएनडीपी-भारत; कनाडा और सिंगापुर में आईयूसीएन कार्यालय; नेशनल ज्योग्राफिक, यूएसए और कैम्पेन फॉर नेचर; मॉन्ट्रियल ने इस आभासी सह वास्तविक बैठक में भाग लिया ।

अपने संबोधन में माननीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि दक्षिण एशिया अपनी 1.97 बिलियन से अधिक आबादी और उच्च जैव विविधता के साथ दुर्गम विकासात्मक चुनौतियों और बाधाओं का सामना कर रहा है, जो कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति और उच्च प्राकृतिक संसाधन पर निर्भर समुदायों की उपस्थिति से बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि यह भी आवश्यक है कि आदिवासी और अन्य स्थानीय समुदाय जो खेती कर रहे हैं या अपनी आजीविका के लिए अन्य गतिविधियों में शामिल हैं, उन्हें स्थानीय समुदाय के विकास और जैव विविधता के संरक्षण के बीच संतुलन बनाने के लिए जैविक विविधता अधिनियम से छूट दी जानी चाहिए।

 

उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय समुदाय के हितों पर अधिक बल देने और अधिक पहुंच तथा लाभ साझाकरण (एबीएस) सुनिश्चित करने के लिए नीति में आवश्यक परिवर्तन करने के लिए जैव विविधता के क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए जैविक विविधता अधिनियम लागू किया जाएगा। मंत्री महोदय ने कहा, “हमें एबीएस फंड बढ़ाने के लिए आवश्यक विनियमन के साथ स्थायी उपयोग के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, जिसका उपयोग जैव विविधता के संरक्षण और स्थानीय समुदाय के लाभ के लिए किया जा सकता है।”

श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि देश हरित बुनियादी ढांचे के विकास और “डिजाइन के साथ विकास” के सिद्धांत तथा व्यवहार को मान्यता देता है, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में, जिसे हम आर्थिक विकास, संरक्षण और सम्पर्क को बढ़ावा देने के लिए बनाते हैं। उन्होंने कहा कि “विनाश के बिना विकास” के दर्शन के अंतर्गत आर्थिक विकास के सभी क्षेत्रों में संरक्षण को मुख्य धारा में शामिल किया गया है।

मंत्री महोदय ने कहा कि भारत 75 से अधिक देशों के साथ शामिल हो गया है जो प्रकृति और व्यक्तियों के लिए 30 बाई 30 उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन (एचएसी) का हिस्सा हैं। दक्षिण एशिया में पाकिस्तान और मालदीव पहले ही इस गठबंधन में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने अन्य देशों से एचएसी में शामिल होने का आग्रह किया और जीईएफ, जैविक विविधता सम्मेलन (सीबीडी) तथा प्रकृति के लिए अभियान और अन्य से विकासशील देशों के लिए समय पर और पर्याप्त संसाधन सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। मंत्री महोदय ने कहा कि दो दिवसीय क्षेत्रीय परामर्श बैठक से उन रणनीतियों को विकसित करने में मदद मिलेगी जो मार्च, 2022 में जिनेवा में आयोजित सीबीडी की वैश्विक बैठकों और अप्रैल-मई, 2022 में चीन में सीबीडी के 15वें कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज़ सम्मेलन में शामिल होंगी।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सचिव, सुश्री लीना नंदन ने अपने भाषण में कहा कि यह सम्मेलन दक्षिण एशिया के परिप्रेक्ष्य को विकसित करने की दिशा में एक मील का पत्थर है और जीईएफ से नवीन वित्त पोषण तरीकों का आह्वान करता है।

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