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समग्र समाचार सेवा
चंडीगढ़ ,11 मई – पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू ने वकीलों के ‘नो वर्क डे’ के आह्वान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। बार एसोसिएशन द्वारा शुक्रवार को अदालत में कार्य स्थगित करने के फैसले को चीफ जस्टिस ने ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया और सवाल उठाया कि जब देश की सेना सीमाओं पर लड़ रही है, तब न्याय व्यवस्था से जुड़े लोग काम बंद कर कैसे बैठ सकते हैं?
सूत्रों के अनुसार, बार एसोसिएशन ने देश के मौजूदा हालात को देखते हुए “नो वर्क डे” मनाने का निर्णय लिया था और अदालत से अनुरोध किया था कि उस दिन कोई प्रतिकूल आदेश पारित न किया जाए। इस फैसले के कारण वकील अदालत में उपस्थित नहीं हुए, जिससे न्यायिक कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ और कई मामलों को स्थगित करना पड़ा।
हालांकि, जब चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने पंजाब और हरियाणा के बीच जल विवाद पर एक याचिका की सुनवाई शुरू की, तो पंजाब सरकार की ओर से पेश वकील ने ‘नो वर्क डे’ का हवाला देते हुए मामले को स्थगित करने की मांग की। इस पर नाराज होते हुए जस्टिस नागू ने कहा, “काम बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने बार एसोसिएशन अध्यक्ष से कहा है—सेना युद्ध लड़ रही है और आप घर में आराम फरमाना चाहते हैं, यह बहुत ही चिंताजनक है।”
अदालत ने स्पष्ट किया कि देश की संस्थाएं अगर काम करना बंद कर देंगी तो पूरी व्यवस्था ठप हो जाएगी। न्यायपालिका को हर परिस्थिति में कार्य करना होगा। जस्टिस नागू ने यह भी कहा कि वकील चाहें तो घर से काम कर सकते हैं क्योंकि आज प्लेटफॉर्म मौजूद हैं, जिनके जरिए वर्चुअल माध्यम से अदालत की कार्यवाही में हिस्सा लिया जा सकता है।
हाईकोर्ट की इस सख्त टिप्पणी ने न्यायिक जिम्मेदारी और संवैधानिक कर्तव्यों की प्राथमिकता को एक बार फिर रेखांकित किया है।
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