शक्ति हो तो दुनिया प्रेम की भाषा भी सुनती है! – PAK पर गरजे RSS प्रमुख मोहन भागवत, दिया राष्ट्रवादी प्रेम का मंत्र!
भागवत ने कहा — “शक्ति हो, तभी प्रेम की भाषा सुनी जाती है!” यह वाक्य जितना सरल दिखता है, उतना ही गहरा और सन्देशपूर्ण है, खासकर उस वक्त जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी का माहौल बना हुआ है।
मोहन भागवत का ये बयान कूटनीतिक प्रेम का नहीं, ताकत के दम पर प्रेम की स्वीकार्यता का संकेत माना जा रहा है। उन्होंने साफ कहा, “हम शांति चाहते हैं, लेकिन कमज़ोरी की शांति नहीं, शक्ति से उपजा प्रेम ही टिकाऊ होता है।” यह बयान ऐसे वक्त आया है जब पाकिस्तान बार-बार सीमाओं पर उकसावे की कोशिशें कर रहा है।
RSS हमेशा से राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक आत्मबल की बात करता आया है, लेकिन इस बार भागवत का स्वर कुछ अलग था—प्रेम की बात भी, लेकिन तलवार की चमक के साथ। उन्होंने बिना पाकिस्तान का नाम लिए कहा, “जब दुनिया को लगता है कि आप निर्बल हैं, तो कोई आपकी बात नहीं सुनता। लेकिन अगर आप सक्षम हैं, तो प्रेम भी प्रभावी बनता है।”
मोहन भागवत का यह बयान अब सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक पंडितों के बीच ‘रणनीतिक सूत्रवाक्य’ बन गया है।
लोग कह रहे हैं —
“ये गांधी और सुभाष का संगम है – अहिंसा भी, पर वीरता के साथ!”
भागवत के इस बयान ने देशभक्ति से ओतप्रोत युवाओं के बीच जोश भर दिया है। सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रहा है –
#ShaktiSePrem #RSSWarningToPak
लोग लिख रहे हैं —
“अब प्रेम के गीत वही गाएगा, जिसके हाथ में ढाल और सीना हो फौलादी!”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भागवत का यह वक्तव्य सिर्फ बयान नहीं, बल्कि ‘रणनीतिक प्रेम की नीति’ का ऐलान है। यह भारत के बदले हुए आत्मविश्वास, उसकी सैन्य क्षमता और कूटनीतिक मजबूती का संकेत है।
संक्षेप में कहा जाए तो – अब भारत वो नहीं जो केवल बातों से शांत रहता था, अब यह वो भारत है जो प्रेम भी करेगा, लेकिन तब जब उसकी तलवार चमक रही होगी!
“प्रेम की भाषा बोलनी है तो पहले शक्ति का होना जरूरी है…” — मोहन भागवत का यह बयान इतिहास में दर्ज होगा – एक चेतावनी, एक दर्शन और एक संदेश के रूप में!”
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