‘भार्गवास्त्र’ का सफल परीक्षण: भारत का स्वदेशी ड्रोन-स्वार्म किलर बना दुश्मनों का काल

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समग्र समाचार सेवा 

नई दिल्ली 14 मई : भारत ने एक बार फिर स्वदेशी रक्षा तकनीक में बड़ी छलांग लगाई है। नागपुर स्थित सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) द्वारा विकसित अत्याधुनिक ‘भार्गवास्त्र’ प्रणाली ने मंगलवार, 13 मई को सफलतापूर्वक अपने परीक्षण पूरे किए। यह प्रणाली अब कम लागत में ड्रोन झुंडों (swarm drones) को खत्म करने में सक्षम है।

गोपालपुर स्थित सीवार्ड फायरिंग रेंज में किए गए परीक्षणों में भार्गवास्त्र प्रणाली के तीन रॉकेट परीक्षण किए गए—दो एकल रॉकेट और एक दो रॉकेटों की साल्वो फायरिंग। सभी रॉकेटों ने अपने लक्ष्यों को सटीकता से भेदा और रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रणाली भविष्य में ड्रोन झुंडों के खात्मे का बड़ा हथियार बन सकती है।

क्या है भार्गवास्त्र की खासियत?

  • यह प्रणाली 2.5 किमी की दूरी तक बिना दिशा-निर्देशन वाले माइक्रो रॉकेट्स से हमला करती है, जिसका 20 मीटर का किल ज़ोन होता है।
  • दूसरी परत में गाइडेड माइक्रो मिसाइलें शामिल हैं, जो सटीक वार करती हैं।
  • इसे उच्च पर्वतीय क्षेत्रों (5000 मीटर से अधिक) में तैनात किया जा सकता है।
  • इसका मॉड्यूलर डिज़ाइन जामिंग और स्पूफिंग जैसी सॉफ्ट-किल तकनीक के साथ भी काम करता है।
  • C4I तकनीक युक्त कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से यह प्रणाली नेटवर्क आधारित युद्ध में भी शामिल हो सकती है।
  • इसकी रडार प्रणाली 6-10 किमी दूर तक के छोटे ड्रोन को भी पहचान सकती है। EO/IR सेंसर इसके ट्रैकिंग को और भी सटीक बनाते हैं।

यह विकास ऐसे समय में हुआ है जब भारतीय बलों ने हाल ही में पाकिस्तान द्वारा भेजे गए सैकड़ों ड्रोन को नष्ट किया है। पाकिस्तान की ओर से भेजे गए ड्रोन भारतीय सैन्य और नागरिक ठिकानों को निशाना बना रहे थे, जिनका भारत ने पूरी शक्ति से जवाब दिया।

भार्गवास्त्र का यह परीक्षण भारत के ‘आत्मनिर्भर रक्षा अभियान’ को नई गति देगा और सीमा पर ड्रोन युद्ध की रणनीति में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।

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