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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 16 जून: भारत सरकार ने 2027 में होने वाली बहुप्रतीक्षित जनगणना की औपचारिक घोषणा कर दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, यह देश की पहली डिजिटल जनगणना होगी और दो चरणों में आयोजित की जाएगी। पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा और 1 मार्च 2027 तक पूरा हो जाएगा।
पहला चरण: हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (HLO)
जनगणना का पहला चरण ‘हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन’ कहलाएगा जिसमें आवासीय स्थितियों, संपत्ति के स्वामित्व, पारिवारिक आय और जल, बिजली व स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं पर जानकारी जुटाई जाएगी।
इस बार नागरिक खुद ऑनलाइन पोर्टल या डिजिटल टैबलेट्स के माध्यम से जानकारी दे सकेंगे।
दूसरा चरण: जनसंख्या गणना (Population Enumeration)
दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से शुरू होगा, जिसमें व्यक्तिगत स्तर पर उम्र, लिंग, शिक्षा, धर्म, भाषा, रोजगार आदि जैसे सामाजिक-आर्थिक व सांस्कृतिक आंकड़े एकत्र किए जाएंगे।
जातिगत गणना भी होगी शामिल
करीब एक सदी बाद पहली बार जातिगत गणना भी इस जनगणना में की जाएगी। यह फैसला सामाजिक न्याय, आरक्षण और कल्याणकारी नीतियों के लिए निर्णायक आंकड़े उपलब्ध कराएगा।
महिला आरक्षण बिल और परिसीमन की राह साफ
यह जनगणना महिला आरक्षण बिल लागू करने के लिए जरूरी शर्तों में से एक है। यह बिल लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देता है, लेकिन इसके क्रियान्वयन से पहले जनगणना और परिसीमन जरूरी है।
अब सरकार ने तय समय घोषित कर राजनीतिक और विधायी प्रक्रिया की दिशा में बड़ी बाधा दूर कर दी है।
15 साल बाद पहली जनगणना
2011 के बाद यह पहली जनगणना होगी। 2021 में प्रस्तावित जनगणना COVID-19 के कारण स्थगित हो गई थी। यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी डिजिटल जनगणना होगी।
गृह मंत्रालय ने बताया कि प्रशिक्षण, डेटा सुरक्षा व्यवस्था और जागरूकता अभियान की तैयारी 2026 की शुरुआत में शुरू होगी। सभी डेटा को एन्क्रिप्ट कर सुरक्षित रखा जाएगा।
यह जनगणना न केवल प्रशासनिक डेटा जुटाने का माध्यम है, बल्कि भारत के राजनीतिक और सामाजिक भविष्य की दिशा तय करने वाली ऐतिहासिक कवायद बनकर उभर रही है।
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