“बांग्लादेश संकट में: चटगांव बंदरगाह, सेंट मार्टिन द्वीप और म्यांमार कॉरिडोर अमेरिका को सौंपने की तैयारी?
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समग्र समाचार सेवा
ढाका/नई दिल्ली, 9 जून :बांग्लादेश इन दिनों गंभीर राजनीतिक संकट और अंतरराष्ट्रीय साजिशों के चौराहे पर खड़ा है। नोबेल पुरस्कार विजेता और विवादित नेता मुहम्मद यूनुस देश में “द्वितीय गणराज्य” की घोषणा की ओर बढ़ रहे हैं, जो मौजूदा 1972 के संविधान को समाप्त कर देगा और बांग्लादेश को एक “क्रांतिकारी इस्लामिक शासन” की ओर ले जा सकता है।
यूनुस द्वारा प्रस्तावित ‘जुलाई डिक्लेरेशन’ अगर लागू होती है, तो वह सेना प्रमुख वाकर उस्मान और राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन को हटाकर ‘इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी’ की स्थापना कर सकते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, यूनुस अमेरिका, पाकिस्तान और संयुक्त राष्ट्र के कुछ प्रभावशाली समूहों की मदद से देश में लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश रच रहे हैं।
सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि यूनुस अमेरिका को बांग्लादेश की सामरिक संपत्तियां सौंपने की योजना बना रहे हैं। इसमें चटगांव पोर्ट को DP वर्ल्ड के माध्यम से अमेरिकी नियंत्रण में देना, म्यांमार के रखाइन तक एक ट्रांजिट कॉरिडोर की पेशकश और सेंट मार्टिन द्वीप पर अमेरिकी सैन्य अड्डा स्थापित करने की तैयारी शामिल है।
इसके साथ ही लालमोनिरहाट एयरपोर्ट और बांग्लादेश ऑर्डनेंस फैक्ट्री को भी अमेरिका या उसके साझेदार देशों के हवाले किए जाने की आशंका जताई जा रही है। इन प्रस्तावित सौदों से भारत की सुरक्षा चिंताएँ भी बढ़ गई हैं।
संयुक्त राष्ट्र की भूमिका भी इस पूरे घटनाक्रम में संदिग्ध बताई जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यूएन अधिकारियों ने बांग्लादेश की सेना को हिंसा के दौरान हस्तक्षेप न करने की चेतावनी दी थी, जिससे कट्टरपंथी तत्वों को फायदा हुआ।
अब पूरे देश की निगाहें बांग्लादेश सेना और उसके प्रमुख जनरल वाकर उस्मान पर हैं। क्या वे इस संभावित इस्लामी अधिनायकवाद को रोकेंगे या बांग्लादेश एक बार फिर से आतंक और विदेशी हस्तक्षेप का शिकार बनेगा? यह आने वाला समय तय करेगा।
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