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समग्र समाचार सेवा कोलकाता 4 जून : जैसे-जैसे 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दलों के बीच पाला बदल का खेल ज़ोर पकड़ने लगा है। बुधवार को कांग्रेस को उत्तर बंगाल में बड़ा झटका तब लगा, जब दार्जिलिंग जिले के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस के पूर्व विधायक शंकर मालाकार ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया।
तृणमूल कांग्रेस में शंकर मालाकार की एंट्री को पार्टी ने उत्तर बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में अहम कदम बताया है। शंकर मालाकार ने पार्टी अध्यक्ष ममता बनर्जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए कहा कि वे अब तृणमूल की विचारधारा और नीतियों के साथ जनसेवा करना चाहते हैं।
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने मुर्शिदाबाद में तृणमूल कांग्रेस में सेंध लगाते हुए पार्टी को जवाबी झटका दिया। अधीर चौधरी की मौजूदगी में तृणमूल नेता कार्तिक साहा सहित करीब तीन दर्जन कार्यकर्ताओं और नेताओं ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। यह घटनाक्रम बताता है कि केवल एक पार्टी ही नहीं, बल्कि सभी दल चुनावी समीकरण साधने के लिए संगठन में मजबूती लाने के प्रयास में जुटे हैं।
तृणमूल कांग्रेस उत्तर बंगाल के साथ-साथ दक्षिण बंगाल में भी भाजपा और कांग्रेस के प्रभाव को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रही है। इससे पहले पार्टी ने भाजपा नेता जॉन बारला को भी अपने पाले में किया था, जिससे राज्य की राजनीतिक तस्वीर लगातार बदलती दिख रही है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि 2026 के चुनाव से पहले बंगाल में बड़े पैमाने पर पाला बदल देखने को मिलेगा, जो चुनावी नतीजों पर भी गहरा असर डाल सकता है।
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