नोबेल का नकाब उतर गया”: बांग्लादेश में सेना प्रमुख की हत्या की साजिश में यूनुस का नाम, देश में कोहराम

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पूनम शर्मा

बांग्लादेश की राजनीति में एक भयंकर भूचाल आया है। नोबेल पुरस्कार विजेता और ‘गरीबों के मसीहा’ कहे जाने वाले मुहम्मद यूनुस पर सेना प्रमुख की हत्या की साजिश रचने का गंभीर आरोप लगा है। यह कोई मामूली राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि विदेशी एजेंटों, अमेरिकी डीप स्टेट और एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का घातक जाल है, जिसमें यूनुस की कथित भूमिका ने देश को झकझोर कर रख दिया है।

तेजधार साजिश: शार्प शूटर्स 

जानकारी के अनुसार, यूनुस ने फ्रांस में रह रहे  एक संदिग्ध एजेंट के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय शार्प शूटर्स को हायर किया, ताकि सेना प्रमुख को रास्ते से हटाया जा सके। एक फ्रांसीसी नागरिक है, लेकिन सूत्रों का दावा है कि वह अमेरिकी खुफिया एजेंसियों से जुड़ा हुआ है और यूनुस का ऑपरेशन एग्जिट मैनेज कर रहा था

सबसे चौंकाने वाला खुलासा एक पॉडकास्ट रिकॉर्डिंग से हुआ है, जिसमें यूनुस की करीबी नबिता चौधरी को शार्प शूटरों से बातचीत करते हुए सुना गया है। रिकॉर्डिंग में पैसे, लोकेशन और टारगेट के बारे में खुलकर चर्चा हो रही है — और यह अब खुफिया एजेंसियों के पास मौजूद है।डीप स्टेट का धागा: अमेरिका का असली चेहरा?

इस साजिश की सबसे खतरनाक परत है – यूनुस और अमेरिकी डीप स्टेट के बीच संबंध। बांग्लादेश के सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका यूनुस को एक ‘राजनीतिक मोहरा’ बनाकर बांग्लादेश की नीति और नेतृत्व को नियंत्रित करना चाहता था

हालांकि बांग्लादेश की सेना ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि – “देश की नीति का निर्णय केवल लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार ही कर सकती है, कोई बाहरी ताकत नहीं।” इसी इनकार ने यूनुस को हताशा की हद तक पहुँचा दिया, जिससे यह घातक साजिश जन्मी।

“यह केवल हत्या की योजना नहीं, बल्कि लोकतंत्र के विरुद्ध छद्म युद्ध था।” – एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी।

भागने की कोशिशें, लेकिन कोई गलियारा नहीं

जानकारी है कि यूनुस अब देश से भागने की योजना बना रहे हैं। उनका गंतव्य –  लेकिन ढाका से खबर है कि सभी हवाई अड्डे, बंदरगाह और राजनयिक मार्गों पर सख्त निगरानी रखी जा रही है

अवामी लीग की वापसी: राजनीति में नया अध्याय

एक समय जिस अवामी लीग को यूनुस ने अमेरिका के समर्थन से निष्क्रिय करने की कोशिश की थी, अब वही पार्टी तेज़ी से वापसी कर रही है। सूत्रों की मानें तो शेख हसीना एक बड़े राजनीतिक कमबैक की तैयारी में हैं और देशभर में जनता का भारी समर्थन उन्हें मिल रहा है।

“यूनुस ने जिस अवामी लीग को खत्म करने की कोशिश की, आज वही ताकतवर बनकर उभर रही है।” – राजनीतिक विश्लेषक

ग्रामीण इलाकों में यूनुस के खिलाफ ज़बरदस्त गुस्सा है। लोग कह रहे हैं, “गरीबों का मसीहा अब गद्दार बन गया।” ढाका, चटगांव, और खुलना में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं – “देशद्रोही यूनुस को फांसी दो!” जैसे नारे गूंज रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय चुप्पी: डर या मिलीभगत?

सबसे हैरानी की बात यह है कि जहां एक ओर बांग्लादेश में राजनीतिक भूकंप आया है, वहीं संयुक्त राष्ट्र, नोबेल समिति और पश्चिमी मीडिया पूरी तरह खामोश हैं। क्या यह कोई संगठित कवर-अप है?

“अगर यूनुस का नाम किसी अन्य देश में होता, तो पश्चिमी मीडिया चीख-चीखकर दिन-रात रिपोर्टिंग करता। अब जब उनका एजेंट फंसा है, सब चुप हैं।” – ढाका का एक पत्रकार।

यह विवाद केवल एक व्यक्ति या एक साजिश का नहीं, बल्कि देश की अस्मिता, लोकतंत्र और संप्रभुता की परीक्षा है। बांग्लादेश की सेना और जनमानस ने स्पष्ट कर दिया है – न कोई नोबेल बचाएगा, न कोई विदेशी ताकत

अब जब सच्चाई सामने आ रही है, माना जा रहा है कि जल्द ही यूनुस के खिलाफ गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू होगी, और विदेशी हस्तक्षेप की जांच भी बड़े स्तर पर होगी।

बांग्लादेश की मिट्टी ने कई संघर्ष देखे हैं, लेकिन यूनुस जैसे चेहरे के पीछे छिपी अंतरराष्ट्रीय साजिश आजाद देश के लिए सबसे बड़ा धोखा है। यह सिर्फ साजिश नहीं, एक देश को घुटनों पर लाने की चाल थी, जिसे ढाका ने पूरे साहस के साथ नाकाम कर दिया।

आने वाले दिनों में अमेरिका-बांग्लादेश संबंधों में तनाव, नई राजनीतिक दिशा, और एक राष्ट्रीय पुनर्जागरण देखने को मिलेगा।

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