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समग्र समाचार सेवा नई दिल्ली 5 जून : दिल्ली में एक बड़े साइबर क्राइम रैकेट का खुलासा हुआ है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डीपफेक तकनीक और फर्जी लोन ऑफर्स का इस्तेमाल कर लोगों को ठगा जा रहा था। पुलिस के मुताबिक, इस गैंग में कॉल सेंटर में काम करने वाली कई युवा महिलाएं शामिल थीं जो दोहरी ज़िंदगी जी रही थीं—दिन में कॉल सेंटर कर्मचारी और रात में साइबर अपराधी।
सेक्सटॉर्शन की साजिश
इस रैकेट में शामिल जयश्री, अक्षिता, पिंकी और डिम्पल जैसी युवतियों ने सोशल मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल बनाए। वे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोगों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजती थीं और बातों का सिलसिला शुरू करती थीं। बाद में यह बातचीत व्हाट्सएप पर शिफ्ट होती थी।
एक बार भरोसा बन जाने के बाद, पीड़ित को एक वीडियो कॉल आता था जिसमें एक महिला की अश्लील गतिविधियां दिखाई जाती थीं। लेकिन वह असली महिला नहीं बल्कि एक AI-जनरेटेड मॉडल होती थी। वीडियो कॉल के दौरान स्क्रीन रिकॉर्डिंग की जाती थी और बाद में पीड़ित को ब्लैकमेल किया जाता था कि अगर पैसे नहीं दिए तो यह वीडियो सार्वजनिक कर दिया जाएगा।
फर्जी लोन का जाल
इस रैकेट का दूसरा हिस्सा फर्जी लोन स्कीम से जुड़ा था। कॉल सेंटर से टेली-कॉलर्स लोगों को आसान बैंक लोन का लालच देते थे। वे व्हाट्सएप पर आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसे दस्तावेज़ मंगवाते थे और फिर ‘प्रोसेसिंग फीस’ के नाम पर QR कोड भेजकर पैसे मंगवाते थे। पैसे मिलते ही नंबर स्विच ऑफ कर दिया जाता था।
मास्टरमाइंड और नेटवर्क
इस रैकेट को उज्जवल पांडे (30) और गौरव बरुआ (24) संचालित कर रहे थे, जो फर्जी अकाउंट किट और पहले से एक्टिवेटेड सिम कार्ड की आपूर्ति करते थे। इनके साथ युग शर्मा (18) भी जुड़ा था। कॉल सेंटर्स का संचालन अमित नामक व्यक्ति करता था, जो अभी फरार है।
AI तकनीक ने बढ़ाया खतरा
AI और डीपफेक के इस्तेमाल ने इस अपराध को और अधिक खतरनाक बना दिया है। अब एक सामान्य सी बातचीत भी किसी को आर्थिक और मानसिक बर्बादी की ओर धकेल सकती है। पुलिस ने अब तक कई लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच जारी है।
यह मामला एक चेतावनी है कि डिजिटल युग में सतर्क रहना कितना ज़रूरी हो गया है।
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