ओबीसी आरक्षण को लेकर शुभेंदु अधिकारी का ममता सरकार पर हमला, कहा- ‘2010 के बाद जारी सभी प्रमाणपत्र अवैध’
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समग्र समाचार सेवा कोलकाता, 23 मई 2025: पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासी बवाल एक बार फिर तेज हो गया है। विपक्ष के नेता कोलकाता, 26 मई 2025: पश्चिम बंगाल में ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासी बवाल एक बार फिर तेज हो गया है। विपक्ष के नेता और बीजेपी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी सरकार पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए ओबीसी सूची में मनमाने तरीके से जातियों को जोड़ा, जिससे सामाजिक न्याय की अवधारणा ही कमजोर हो गई।
दरअसल, मई 2024 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को अवैध घोषित कर दिया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल वे जातियां जो 2010 से पहले की स्वीकृत सूची में शामिल थीं, वही आरक्षण का लाभ ले सकेंगी।
इसी फैसले को आधार बनाकर शुभेंदु अधिकारी ने गुरुवार को राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, “तृणमूल सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के तहत जातियों को बिना सामाजिक सर्वेक्षण के ओबीसी श्रेणी में डाल दिया। इसका असर अब उन गरीब और जरूरतमंद लोगों पर पड़ा है, जो वास्तव में आरक्षण के हकदार थे।”
अधिकारी ने मांग की कि राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि किन-किन जातियों को किस आधार पर ओबीसी में शामिल किया गया था और क्यों उच्च न्यायालय ने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से तत्काल जवाब देने की मांग की।
बीजेपी ने इस मुद्दे को लेकर प्रदेशभर में आंदोलन की चेतावनी भी दी है। पार्टी का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस ने संविधान के साथ खिलवाड़ किया है और सामाजिक न्याय की भावना को नुकसान पहुंचाया है।
यह मामला अब एक संवेदनशील राजनीतिक और सामाजिक बहस का रूप ले चुका है, जिस पर अगले चुनावों में बड़ा असर पड़ सकता है।
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