एर्दोगन का पाकिस्तान दाँव : भारत के गुस्से से तुर्की का आर्थिक और कूटनीतिक संकट

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अलोक लाहड़ की अर्थव्यवस्था भारत के तीव्र बहिष्कार से जूझ रही है, जो राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के 2025 पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानको ड्र तुर्की की अर्थव्यवस्था भारत के तीव्र बहिष्कार से जूझ रही है, जो राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन के 2025 पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानको ड्रोन देनेके फैसले से भड़का, जिसमें 26 भारतीय पर्यटक मारे गए। नव-ओटोमन दृष्टि में निहित इस कदम ने तुर्की को सालाना 510–640 मिलियन डॉलर का व्यापार और सेवा नुकसान पहुंचाया। भारत का 10.43 बिलियन डॉलर बाजार पाकिस्तान के 1.1 बिलियन डॉलर से कहीं बड़ा है, जो एर्दोगन की रणनीतिक भूल को उजागर करता है। भारतीय व्यापारी तुर्की से सामान आयत करना छोड़ रहे हैं, विश्वविद्यालय संबंध तोड़ रहे हैं, और उड्डयन साझेदारियां डगमगा रही हैं। एर्दोगन परिवार की हिस्सेदारी जोखिम में है, राष्ट्रीय गौरव और दीर्घकालिक कूटनीति को संतुलित करते हुए, भारत को तुर्की पर दबाव बढ़ाने के लिए सटीक उपाय करने होंगे।

ऐतिहासिक संबंध: जटिल विरासत

भारत-तुर्की संबंध वैदिक युग से शुरू होते हैं, 1500 ईसा पूर्व से पहले सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ। मध्यकाल में ओटोमन ने गुजरात और बीजापुर को पुर्तगालियों के खिलाफ मदद की, लेकिन मुगल प्रभुत्व ने संबंधों को तनावपूर्ण किया। 20वीं सदी में, भारतीय मुसलमानों ने तुर्की के स्वतंत्रता संग्राम का समर्थन किया, और गांधी ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद कठोर शर्तों का विरोध किया। 1948 में कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए, लेकिन शीत युद्ध—भारत की गुटनिरपेक्षता बनाम तुर्की की नाटो भूमिका—ने उन्हें सीमित रखा। तुर्की का पाकिस्तान समर्थन, विशेषकर कश्मीर के मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर उठाना, और उस के प्रतिशोद में भारत का आर्मेनिया, ग्रीस, साइप्रस समर्थन तनाव का कारण है।

व्यापार गतिशीलता: तुर्की का बड़ा नुकसान

2023–24 में भारत और तुर्की के बिच का द्विपक्षीय व्यापार 10.43 बिलियन डॉलर था, भारत ने 6.65 बिलियन डॉलर (दवाएं, ऑटो पार्ट्स) निर्यात किए, और 3.78 बिलियन डॉलर (मार्बल, सेब) आयात किए। भारत का 2.87 बिलियन डॉलर अधिशेष और 300,000 पर्यटक (360–480 मिलियन डॉलर) इसे ताकत देते हैं। तुर्की का पर्यटन (10–12% जीडीपी) और निर्यात (भारत के आयात का 0.5%) भारतात की तुलना में कमजोर हैं। भारत का बहिष्कार—मार्बल (70% आपूर्ति, 2,500–3,000 करोड़ रुपये) और पर्यटन (60% बुकिंग गिरावट)—तुर्की को 510–640 मिलियन डॉलर का नुकसान देता है। भारत आसानी से विकल्प (इटली, ईरान) ढूंढ सकता है, जबकि पाकिस्तान का कुल 1.1 बिलियन डॉलर का व्यापार तुर्की को कम राहत देता है।

एर्दोगन का शासन और नव-ओटोमनवाद

तुर्की का हाइब्रिड शासन चुनावों को तानाशाही के साथ जोड़ता है। 2002 से AKP का दबदबा है, 2017 की राष्ट्रपति प्रणाली ने एर्दोगन को जज नियुक्त करने और डिक्री जारी करने की शक्ति दी। 2025 में एकरेम इमामोग्लू की गिरफ्तारी ने विरोध (79% समर्थन) भड़काया। 90% मीडिया नियंत्रण और 200+ पत्रकारों की गिरफ्तारी के साथ, एर्दोगन सत्ता को प्राथमिकता देते हैं। उनका नव-ओटोमनवाद, हनफी सुन्नी बहुसंख्यक (78%) का उपयोग कर, इस्लामी नेतृत्व चाहता है। 48.6% मुद्रास्फीति और 0.2% जीडीपी संकुचन के बावजूद, बायकर ड्रोन शक्ति दिखाते हैं।

तुर्की का पाकिस्तान समर्थन

भारत को यूएन और ओआईसी में मुसलमानों का उत्पीड़क बताकर, एर्दोगन कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन करते आए हैं । इस कारण तुर्की, चीन के बाद पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया। तुर्की पाकिस्तान को ड्रोन और उन्हें उड़ने का प्रशिक्षण देता है और 2022 का व्यापार समझौता 5 बिलियन डॉलर का लक्ष्य रखता है, लेकिन 2024 में 1.1 बिलियन डॉलर भारत के 10.43 बिलियन से बहुत कम है। पहलगाम के बाद, बायकर ने पाकिस्तान को 350+ सोंगर, टीबी2, और अकिंसी ड्रोन (100 मिलियन–1.3 बिलियन डॉलर) दिए, जिससे एर्दोगन के दामाद सेलकुक बायरकटार (52.5% हिस्सेदारी, 1.2 बिलियन डॉलर) समृद्ध हुए। तुर्की के पाकिस्तान समर्थन का मुख्य कारन यही है।  

भारत की सहायता, तुर्की की कृतघ्नता

2023 के भूकंप में, भारत ने ऑपरेशन दोस्त के तहत तुर्की को 5 मिलियन डॉलर, चिकित्सा आपूर्ति, और NDRF टीमें दीं, जिससे सद्भावना बढ़ी। पहलगाम के बाद तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन बेचने के लालच में भारत की सहायता को भुला दिया और पाकिस्तान को ड्रोन और ड्रोन ऑपरेट दे लार उसका साथ दिया जिसे भारत में विश्वासघात माना गया। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड हुआ, जिसने बहिष्कार को राष्ट्रीय आंदोलन बनाया। इस कृतघ्नता ने भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक जवाब को तीव्र किया।

भारत का बहुआयामी बहिष्कार

भारत का व्यपारी वर्ग से उठा तुर्की के सामान के बहिष्कार का नैरा तुर्की के सामान को ही नहीं वहां की सेवाओं को भी निशाना बना रहा है। भारतीय व्यापारिओं के मार्बल (70% आपूर्ति, 2,500–3,000 करोड़ रुपये) और सेब (1,000–1,200 करोड़ रुपये) न खरीदने के निर्णय से तुर्की को 460–540 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। पर्यटन ध्वस्त हुआ, 60% बुकिंग गिरावट और 250% रद्दीकरण से 1.65 बिलियन डॉलर की हानि। जेएनयू, जामिया मिलिया, और CSJMU ने तुर्की संस्थानों के साथ समझौते रद्द किए।

तुर्की फर्में प्रभावित हैं:

सेलेबी एविएशन: नौ हवाई अड्डों पर 200 मिलियन डॉलर के अनुबंध खोए, इस कंपनी मैं स्यूमेये एर्दोगन की कथित 20% की हिस्सेदारी।

लिमाक/दोगुस: 430 मिलियन डॉलर के अनुबंधों से 43–86 मिलियन मुनाफा जोखिम में।

कोच/अर्सेलिक: उपकरण मुनाफा (5–10 मिलियन डॉलर) आधा हो सकता है।

ज्ञात रहे, ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने तुर्की उत्पादों को छोड़ने का समर्थन किया।

ऑपरेशन सिंधूर का ड्रोन विनाश

ऑपरेशन सिंधूर ने तुर्की के 5.5 बिलियन डॉलर के ड्रोन उद्योग को नष्ट कर दिया।  भारत की संशोधित विमान-रोधी तोपों ने 300–400 सोंगर, टीबी2, और अकिंसी ड्रोन मार गिराए, और से बायकर की कमजोरियों विश्व भर में उजागर हो गई। इस के कारण बायकर की वैल्यूएशन 2.3 बिलियन डॉलर की हानि और सेलकुक की दौलत को खतरा हुआ, साथ ही 30 ग्राहक देशों में तुर्की की विश्वसनीयता घटी। यह भारत की सैन्य श्रेष्ठता और रणनीतिक दृढ़ता को दर्शाता है।

तुर्की बुद्धिजीवियों की सलाह

मुद्दस्सिर क़मर और प्रसंता कुमार प्रधान जैसे तुर्की विद्वान कहते हैं कि एर्दोगन को पाकिस्तान समर्थन की गलत सलाह दी गई, वे 10.4 बिलियन डॉलर व्यापार बचाने के लिए तटस्थता की वकालत करते हैं। वे भारत को संबंध न तोड़ने की सलाह देते हैं, वे कहते हैं की इतने वर्षों मैं बने पुलों को भारत को इतनी जल्दी ध्वस्त न कर देना चाहिए लेकिन भारत की रणनीतिक स्वायत्तता पारस्परिकता मांगती है। यह तुर्की के आर्थिक डर को दर्शाता है, लेकिन भारत के राष्ट्रवादी उभार के बीच इस प्रस्ताव का प्रभाव कम है।

इंडिगो-तुर्की एयरलाइंस गठबंधन

2018 से इंडिगो का तुर्की एयरलाइंस के साथ कोडशेयर का सम्बन्ध स्थापित किया। इसे ने उन से दो किराए के विमानों लिए और भारत को 40+ यूरोपीय/अमेरिकी गंतव्यों के साथ जोड़ा। 2024 में 300,000 भारतीय यात्रियों ने इन सेवाओं को ख़रीदा। इंडिगो इसे किफायती और रोज़गार के लिए बाहर अच्छा बता रहा है पर सच यह है की इस कारण 2024 में तुर्की एयरलाइंस के 16.7 बिलियन डॉलर राजस्व में योगदान दिया। एयर इंडिया, सुरक्षा जोखिम और असमान लाभ का हवाला देकर, 31 मई 2025 को समाप्त होने वाले लीज को खत्म करने की मांग करता है। यही मांग सोशल मीडिया पर बहुत से भारतीय भी कर रहे हैं।  ३१ मई को तुर्किशएयरलाइन का लाइसेंस समाप्त हो रहा है और यह संभव है की उड्डयन मंत्रालय की समीक्षा इसे समाप्त कर दे।

भारत की दंडात्मक रणनीति

भारत को तुर्की पर दबाव के लिए लक्षित उपाय बढ़ाने चाहिए:

उड्डयन प्रतिबंध: तुर्की एयरलाइंस को भारतीय हवाई क्षेत्र से प्रतिबंधित करें, जिससे उसे दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए लंबा मार्ग लेना पड़े, सालाना 100–200 मिलियन डॉलर का नुकसान।

व्यापार प्रतिबंध: मार्बल और सेब पर 20–30% शुल्क लगाएं, आयात को ईरान और इटली की ओर मोड़ें, तुर्की के निर्यात में 200 मिलियन डॉलर की कटौती।

रक्षा कूटनीति: आर्मेनिया, ग्रीस, और साइप्रस के साथ संबंध मज़बूत करें, ड्रोन तकनीक देकर तुर्की के प्रभाव को काटें।

सार्वजनिक कूटनीति: वैश्विक मीडिया में तुर्की की कृतघ्नता को उजागर करें, एर्दोगन को कूटनीतिक रूप से अलग करें।

इस का तुर्की पाकिस्तान या OIC के ज़रिए जवाब दे सकता है, लेकिन भारत की 3.9 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था पर इस का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। 

दीर्घकालिक दृष्टिकोण

भारत की 3.9 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और ब्रिक्स/जी20 में उस का प्रभाव पाकिस्तान के 7 बिलियन रक्षा बजट से बड़ा है। तुर्की का पाकिस्तान की और झुकाव और उस का हर मंच पर समर्थन करना पश्चिमी अलगाव का पात्र बना सकता है। एर्दोगन के दांव, 14.3–29.6 मिलियन डॉलर की परिवार हिस्सेदारी को जोखिम में डाल दिया है, और इमामोग्लू विरोध उनकी सत्ता को कमज़ोर कर सकते हैं। सुलह के लिए तुर्की को पाकिस्तान से अलग होना  होगा, जो एर्दोगन के पैन-इस्लामिक एजेंडे में मुश्किल है। भारत को दबाव बनाए रखते हुए तुर्की के उदारवादी समूहों से जुड़ना चाहिए।

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