एमएससी स्टूडेंट लैब में पता करेंगे डीएनए

एमएससी स्टूडेंट लैब में पता करेंगे डीएनए
होलकर साइंस में डीएनए टेस्ट और इंफ्रा रेड रेडिएशन के लिए आए इंस्टूमेंट, फिंगर प्रिंट और डाक्यूमेंट एक्सपर्ट के लिए लेंगे ट्रेनिंग। 
 होलकर साइंस कॉलेज में पीसीआर और एफटीआईआर इंस्टूमेंट आए है। कॉलेज में चल रहे फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में इनका इस्तेमाल होना है। इसका फायदा स्टूडेंट्स को यह मिलेगा कि वे फॉरेंसिक लैब में डीएनए टेस्ट से लेकर इंफ्रा रेड रेडिएशन तक की जानकारी ले सकेंगे। प्रबंधन के अनुसार शहर में पहला कॉलेज है जहां स्टूडेंट्स डीएनए किस तरह से पता किया जाता है इसे जान पाएंगे। इसके इंस्टूमेंट आ चुके है। वहीं कॉलेज के दो स्टूडेंट भोपाल में सेंट्रल फॉरेंसिक लेब में ट्रेनिंग के लिए जा रहे है। फिंगर प्रिंट और एक्सपर्ट के रूप में ये स्टूडेंट ट्रेनिंग लेंगे।
पीसीआर में डेमोस्ट्रेशन शुरू
फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. विजय आर. चोरे ने बताया जूलॉजी डिपार्टमेंट में पीसीआर इंस्टूमेंट जो कि करीब 15 से 20 लाख रुपए की लागत से लाया गया है। इससे स्टूडेंट्स लैब में रहते हुए डीएनए किस तरह से पता किया जाता है उसके लिए किन-किन बातों को ध्यान में रखा जाए ऐसी तमाम जानकारी ले सकेंगे। डॉ. चोरे ने बताया फिलहाल केमिस्ट्री विभाग में एफटीआईआर काम कर रहा है। हमने पीसीआर में डेमोस्ट्रेशन शुरू कर दिया है, हालांकि उसे वर्किंग में आने में थोड़ा समय लगेगा। उसके एक्सपर्ट व अन्य संसाधन की आवश्यकता पूरी होती ही इसे भी शुरू कर दिया जाएगा। फिंगर प्रिंट और डाक्यूमेंट एक्सपर्ट के रूप में ट्रेनिंग लेने के लिए कॉलेज के दो स्टूडेंट भोपाल में सेंट्रल फॉरेंसिक लेब में जा रहे हैं। 
ताकि मिल सकें प्रेक्टिकल नॉलेज
एफटीआईआर, इंफ्रा रेड रेडिशन से काम करता है। इसका काम होता है कि छोटे से छोटे पदार्थ की अल्प मात्रा से पता लगाना कि अमुख स्थान पर किस तरह के केमिकल का उपयोग किया गया है, साथ ही अन्य किस तरह के केमिकल वहां मौजूद है। दरअसल कुछ अस्पतालों में ही अभी डीएनए की जानकारी मिल पाती है, लेकिन अनुभव नहीं होने के कारण इस डिपार्टमेंट के न्यू स्टूडेंट्स को कैम्पस के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रबंधन का कहना हैं स्टूडेंट्स को कॉलेज स्तर पर ही हम ऐसी तमाम जानकारी देना चाहते ताकि पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज मिल सकें। यह एमएससी स्टूडेंट्स के लिए रहेगा। प्राचार्य डॉ. के.एन. चतुर्वेदी का कहना हैं क्राइम डिटेक्शन में एमएससी स्टूडेंट्स अब महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हम स्टूडेंट्स को शुरुआती स्तर पर ही इस तरह से ट्रेंड करने की कोशिश कर रहे है कि वे बेस्ट फॉरेंसिक लैब में काम कर सकें। सागर के बाद प्रदेश में यह पहला कॉलेज है जिसने इस विषय को शुरू किया है। फिलहाल अभी स्टूडेंट्स को फिंगर पिं्रट से लेकर साइबर क्राइम से संबंधी जानकारी दी जा रही हैं। 
जल्द आएंगे ये ऑर्डर
फिंगर प्रिंट पाउडर, ब्रशेस, मैगनेटिक पाउडर, सेलो फिल्म्स, डाक्यूमेंट चेकिंग आदि। 

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