वाशिंगटन , 1 मई: यूक्रेन और अमेरिका ने आखिरकार बुधवार को मिनरल डील पर साइन कर लिए। इस डील के तहत अमेरिका को यूक्रेन के नए मिनरल (खनिज) प्रोजेक्ट्स में खास एक्सेस मिलेगा। इसके बदले में अमेरिका यूक्रेन के पुनर्निर्माण में निवेश करेगा। इस डील के तहत यूक्रेन के रिडेवलपमेंट और रिकंस्ट्रक्शन के लिए एक जॉइंट इन्वेस्टमेंट फंड बनाया जाएगा।
इसके अलावा ट्रम्प सरकार ने इस डील के बारे में ज्यादा डिटेल्स तुरंत जारी नहीं की हैं, और ये भी साफ नहीं है कि इसका अमेरिका की सैन्य मदद पर क्या असर पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक, फाइनल डील में अमेरिका की तरफ से किसी तरह की सिक्योरिटी मदद की कोई पक्की गारंटी नहीं दी गई है।
जॉइंट इन्वेस्टमेंट फंड में 50-50 निवेश करेंगे दोनों देश
यूक्रेन के इकोनॉमी मिनिस्ट्री ने कहा है कि अमेरिका इस फंड में सीधे या फिर मिलिट्री मदद के जरिए योगदान देगा, जबकि यूक्रेन इस फंड में अपने नेचुरल रिसोर्सेज के इस्तेमाल से होने वाली कमाई का 50% हिस्सा डालेगा।
मिनिस्ट्री ने बताया कि फंड के सारे पैसे पहले 10 साल तक सिर्फ यूक्रेन में ही इन्वेस्ट किए जाएंगे। इसके बाद, ‘प्रॉफिट को दोनों पार्टनर्स के बीच बांटा जा सकता है।’
मिनिस्ट्री ने यह भी कहा कि अमेरिका और यूक्रेन को फंड के फैसलों में बराबर की हिस्सेदारी मिलेगी। यह डील सिर्फ भविष्य की अमेरिकी मिलिट्री मदद को कवर करती है, पहले दी गई मदद इसमें शामिल नहीं है।
यूक्रेनी प्रधानमंत्री बोले- हम अपने रिसोर्सेज पर पूरा कंट्रोल बनाए रखेंगे
टेलीग्राम पर की गई एक पोस्ट में यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस शमिहाल ने लिखा कि इस डील के तहत जो इन्वेस्टमेंट फंड बनाया जाएगा, उस पर दोनों देशों के बराबर वोटिंग राइट्स होंगे, और यूक्रेन अपनी जमीन के अंदर मौजूद संसाधनों, इन्फ्रास्ट्रक्चर और नेचुरल रिसोर्सेज पर पूरा कंट्रोल बनाए रखेगा।
उन्होंने ये भी कहा कि इस इन्वेस्टमेंट फंड से होने वाला मुनाफा दोबारा यूक्रेन में ही लगाया जाएगा। शमिहाल ने लिखा, ‘इस समझौते की मदद से हम री-बिल्डिंग के लिए बड़े पैमाने पर रिसोर्सेज ला पाएंगे, इकोनॉमिक ग्रोथ शुरू कर सकेंगे, और अमेरिका जैसे स्ट्रैटेजिक पार्टनर से लेटेस्ट टेक्नोलॉजी भी हासिल कर पाएंगे।’
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