“संस्कारों पर हमला: लोल्ला कॉटेज’ पॉर्न वेब सीरीज़ की आसिया खातून हिन्दू नाम रखकर सिंदूर क्यों लगाती है ?

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पूनम शर्मा                                                                                                                                                                                                                                           आज के डिजिटल युग में जहाँ संस्कृति और कंटेंट के बीच की सीमाएँ धुँधली  होती जा रही हैं, एक नया और गंभीर खतरा हमारे सामने खड़ा हो गया है। यह खतरा न केवल भारतीय मूल्यों पर हमला कर रहा है, बल्कि हिंदू पहचान को अश्लीलता के जरिए बदनाम करने का सुनियोजित प्रयास बन चुका है। इसका ताज़ा उदाहरण है हाल ही में चर्चा में आई पोर्न वेब सीरीज़ — ‘लोल्ला कॉटेज’

इस सीरीज़ में मुख्य भूमिका निभा रही अभिनेत्री का नाम है नेला नाम्बियार, जो एक पारंपरिक हिंदू स्त्री के रूप में साड़ी, बड़ी बिंदी और गहरे सिंदूर के साथ दिखाई देती हैं। लेकिन असल में यह पहचान एक झूठ है, और इसके पीछे की सच्चाई चौंकाने वाली है।

कौन हैं नेला नाम्बियार? या कहें — आसिया खातून?

जिन्हें आज “नेला नाम्बियार” के नाम से जाना जा रहा है, उनका असली नाम है आसिया खातून। कई स्रोतों और एक वायरल हुए इंटरव्यू के अनुसार, आसिया ने स्वयं स्वीकार किया कि उन्होंने एक हिंदू नाम और पहचान को इसलिए अपनाया क्योंकि इस्लाम में पोर्न फिल्मों में काम करना हराम माना जाता है

इसलिए एक योजनाबद्ध तरीके से उन्हें “नेला नाम्बियार” बनाया गया, सिंदूर लगाया गया, हिंदू पोशाक पहनाई गई, और एक “संस्कारी” पत्नी का किरदार देकर पोर्न फिल्मों में उतारा गया। यह केवल व्यक्तिगत पहचान का मामला नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धोखा है — हिंदू प्रतीकों और स्त्री की छवि का दुरुपयोग, केवल अश्लील सामग्री बेचने और सनसनी फैलाने के लिए।

केरल: बनता जा रहा है पोर्न उद्योग का गढ़?

संस्कृति, साहित्य और शिक्षा के लिए प्रसिद्ध राज्य केरल, अब तेजी से अश्लील वेब सीरीज़ों के निर्माण का केंद्र बनता जा रहा है। इंटरनेट पर कई ऐसी सीरीज़ सामने आ रही हैं जो “इरोटिक आर्ट” या “बोल्ड वेब ड्रामा” के नाम पर पूरी तरह पोर्नोग्राफ़ी हैं।

कौन है इसके पीछे? यह पैसा कहाँ से आ रहा है?

केरल में जहाँ कम्युनिस्ट विचारधारा मजबूत है और हिंदू जनसंख्या अल्पसंख्यक होती जा रही है, वहाँ ऐसे कंटेंट पर कोई वैचारिक या सामाजिक रोक नहीं दिखाई देती। हिंदू पहचान पर जब हमला होता है, तो न तो सरकारें कुछ बोलती हैं और न ही तथाकथित “प्रगतिशील” वर्ग।

क्या ये पोर्न जिहाद है?

नेला नाम्बियार उर्फ़ आसिया खातून का मामला केवल एक अभिनेत्री का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित योजना का हिस्सा है — जिसमें हिंदू महिलाओं को चरित्रहीन, अश्लील और “उपलब्ध” दिखाया जाता है, जबकि दूसरी धर्म की महिलाओं को इस कारोबार से पूरी तरह बाहर रखा जाता है।

यहाँ नाम बदले जाते हैं, चेहरों को हिंदू प्रतीकों से सजाया जाता है, और फिर उनका इस्तेमाल होता है हिंदू समाज की पवित्रता पर प्रहार के लिए। इसे आप चाहें तो पोर्न जिहाद कह सकते हैं — एक ऐसा अभियान जहाँ अश्लीलता के माध्यम से धर्म और संस्कृति का अपमान हो रहा है।

सरकार और समाज को अब जागना होगा

यह लड़ाई किसी वेब सीरीज़ की नहीं है, यह लड़ाई है — सिंदूर, साड़ी, मंगलसूत्र जैसे प्रतीकों को बचाने की, जो हिंदू स्त्री की अस्मिता और गरिमा के प्रतीक हैं।

भारत सरकार को चाहिए कि तुरंत:

  • OTT प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट पर नियंत्रण लगाए
  • धार्मिक प्रतीकों का पोर्नोग्राफ़ी में प्रयोग प्रतिबंधित करे
  • फर्जी हिंदू पहचान अपनाने वालों पर कार्रवाई हो
  • केरल में चल रहे पोर्न उद्योग की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए

साथ ही हर हिंदू संगठन, मठ, अखाड़ा, महिला संस्था और धर्माचार्य को इस कृत्य के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए। यह केवल संस्कृति की रक्षा का नहीं, बल्कि आगामी पीढ़ियों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-सम्मान का सवाल है।

सिंदूर कोई श्रृंगार ही नहीं, एक श्रद्धा है

जिस सिंदूर को देवी-स्वरूपा नारी के माथे की शोभा माना गया है, आज उसे एक पोर्न सीरीज़ की मार्केटिंग वस्तु बना दिया गया है। क्या हम इसे स्वीकार कर सकते हैं?

यदि आज हमने चुप्पी साधी, तो कल हमारी बेटियों के सामने एक ही छवि बचेगी — हिंदू स्त्री यानी एक “विक्टिम ऑफ वल्गैरिटी”।

अब समय है जागने का, सजग होने का, और संगठित विरोध का।
संस्कारों की रक्षा हमारा धर्म है।
सिंदूर की गरिमा को गिरने न दें।

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