कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
आज का भगवद् चिंतन
भक्ति का पथ सदैव चुनौतियों से भरा रहता है। यदि आप भक्ति मार्ग के पथिक हैं तो पग-पग पर आने वाली बाधाओं को सहने की भी आपकी तैयारी होनी चाहिए। जो मनुष्य भक्ति पथ का अनुगमन करता है, उसकी राह कभी भी आसान नहीं होती है। बस प्रत्येक स्थिति में अपने प्रभु के प्रति रखा गया अटूट विश्वास ही उसका सबसे बड़ा बल एवं सहायक होता है।
खेलत बालक ब्याल संग, मेला पावक हाथ
तुलसी सिसु पितु मातु ज्यों,राखत सिय रघुनाथ
जिस प्रकार हित-अनहित का भेद जाने एक अबोध बालक निर्भय होकर सर्प से खेलने लग जाता है व अग्नि में भी हाथ डालने लग जाता है पर उसके माता-पिता द्वारा उसे उन अनिष्टों से बचाया जाता है। इसी प्रकार अपने शरणागत का हित साधन भी प्रभु द्वारा प्रत्येक स्थिति में किया जाता है। भक्ति के मार्ग पर आपको कष्ट अवश्य हो सकता है पर आपका अहित कभी नहीं हो सकता।
कृपया इस पोस्ट को साझा करें!
Comments are closed.