कर्नाटक भौवी विकास निगम फंड घोटाला: ED ने दाखिल की चार्जशीट, करोड़ों की संपत्ति जब्त

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समग्र समाचार सेवा                                                                                                                                                                                                                             

बेंगलुरु, 8 जून: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कर्नाटक भौवी विकास निगम (KBDC) में हुए करोड़ों के फंड हेराफेरी मामले में बड़ी कार्रवाई की है। बेंगलुरु ज़ोनल ऑफिस ने इस मामले में तीन प्रमुख आरोपियों – आर. लीलावती, बी. के. नगराजप्पा और पी. डी. सुब्बप्पा के खिलाफ 3 जून, 2025 को PMLA की विशेष अदालत, बेंगलुरु में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस कार्रवाई के साथ ही करोड़ों की संपत्ति भी जब्त की गई है, जो इस घोटाले से अर्जित की गई थी।

क्या है मामला?

यह पूरा मामला कर्नाटक पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई FIRs से सामने आया है। ईडी की जाँच में यह खुलासा हुआ है कि KBDC के तत्कालीन जनरल मैनेजर बी. के. नगराजप्पा और तत्कालीन मैनेजिंग डायरेक्टर आर. लीलावती ने कुछ बिचौलियों और अपने साथियों के साथ मिलकर निगम के करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया। इन पैसों को फर्जी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर किया गया, जिनमें आदित्य एंटरप्राइजेज, सोमनाथेश्वर एंटरप्राइजेज, न्यू ड्रीम्स एंटरप्राइजेज, हार्न्तिहा क्रिएशन्स और एन्निका एंटरप्राइजेज शामिल हैं। इन कंपनियों को नगराजप्पा और उनके सहयोगी ही चला रहे थे।

ईडी की छापेमारी और गिरफ्तारियां

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, ईडी ने 4 अप्रैल, 2025 को बेंगलुरु में कई ठिकानों पर सघन तलाशी अभियान चलाया था। इस दौरान KBDC का दफ्तर (वी.वी. टॉवर, बेंगलुरु) और आरोपियों के घरों पर छापेमारी की गई। तलाशी के बाद, बी. के. नगराजप्पा को 5 मई, 2025 को और आर. लीलावती को 12 मई, 2025 को PMLA के तहत गिरफ्तार किया गया। नगराजप्पा को 14 दिनों की और लीलावती को 7 दिनों की ईडी कस्टडी मिली थी। फिलहाल, दोनों न्यायिक हिरासत में हैं।

करोड़ों का घोटाला और संपत्ति की कुर्की

जाँच  में यह भी सामने आया है कि इस हेराफेरी से मिले पैसों (Proceeds of Crime) का इस्तेमाल कई अचल संपत्तियों की खरीद, बिचौलियों को भुगतान और अन्य संदिग्ध खातों में ट्रांसफर के लिए किया गया। ईडी ने पहले ही इस मामले में करीब ₹26.27 करोड़ मूल्य की अचल संपत्तियां जब्त कर ली थीं, जिनकी अनुमानित मार्केट वैल्यू लगभग ₹40 करोड़ है। ये संपत्तियां नगराजप्पा, लीलावती और अन्य आरोपियों से जुड़ी हुई हैं।

ईडी ने स्पष्ट किया है कि इस मामले की गहन जांच अभी भी जारी है और आने वाले समय में इस घोटाले में और भी नाम सामने आ सकते हैं। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति का एक मजबूत संकेत है।

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