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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली 8 मई 2025 : 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में अपने पिता को खो चुकीं असावरी जगदाले ने कहा कि जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सैन्य कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम देने की खबर टीवी पर सुनी, तो वह फूट-फूट कर रो पड़ीं। असावरी ने कहा कि इस नाम ने उन्हें महसूस कराया कि उनके पिता और अन्य शहीदों को न्याय मिला है।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए असावरी ने कहा, “ऑपरेशन का नाम सुनकर मैं बहुत रोई। हमें लगा था कि हमें अकेला छोड़ दिया गया है, लेकिन सरकार ने हमारे दर्द को समझा।” असावरी ने बताया कि हमले के बाद जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उनसे और अन्य शहीदों की विधवाओं से मिलने आए थे, तब सभी महिलाओं ने कहा था कि उन्हें उनके पतियों से छीन लिया गया।
उन्होंने कहा, “शायद इसी वजह से ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ रखा गया, क्योंकि यह उस दर्द और बलिदान का प्रतीक है। यह उन सभी शहीदों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि और न्याय है।”
सिंदूर का प्रतीकात्मक महत्व
हिंदू संस्कृति में सिंदूर विवाहित महिलाओं के सुहाग का प्रतीक होता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम सीधे उन विधवाओं की पीड़ा को दर्शाता है, जो पाहलगाम हमले के बाद अपने पतियों को खोकर अकेली रह गईं। इस हमले में नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नारवाल भी शहीद हुए। उनकी पत्नी हिमांशी, जो एक स्कूल टीचर हैं, हमले के समय उनके साथ थीं। उनकी गोद में घायल पति को पकड़ने की तस्वीर इस हमले का सबसे भावुक दृश्य बन गई।
इसी तरह मंजुनाथ राव की पत्नी पल्लवी का वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें वो हमले से एक दिन पहले शिकारे पर मुस्कुराती नजर आ रही थीं। लेकिन हमले के दिन उनके पति के गोली लगने के बाद मदद मांगते हुए उनका एक और वीडियो सामने आया, जिसने सभी को झकझोर दिया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ भारत की जवाबी कार्रवाई को ही नहीं दर्शाया, बल्कि उन महिलाओं की मजबूती और दर्द को भी दुनिया के सामने रखा, जो आतंकवाद के कारण विधवा हो गईं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस ऑपरेशन को नाम देना उन परिवारों के लिए एक संदेश है कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
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