सरकार ने कंसा शिकांजा, व्यापारी और कंपनियां इनकम का पूरा स्रोत

देशभर में 20 अगस्त से लागू हो रहे बदलाव

भोपाल । मोदी सरकार ने व्यापारियों और कंपनियों पर अपना शिंकाजा ज्यादा सख्त कर दिया है। सरकार ने तमाम व्यापारियों और कंपनियों को अन्य स्रोत से मिली जानकारी की अब ज्यादा विस्तृत जानकारी देनी होगी। यानी अब व्यापारियों और कंपनियों उन सभी स्रोत के नाम बताना होगा जिनसे उस आमदनी हुई है। व्यापारियों को जीएसटी कलेक्शन की जानकारी पहली बार देना जरूरी होगी। दरअसल, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने अपने आयकर अधिनियम की धारा 44 एबी के तहत ऑडिट के लिए पात्र लोगों द्वारा भरे जाने वाले फॉर्म-3 सीडी में बड़े बदलाव किए हैं।

यह बदलाव देशभर में 20 अगस्त से लागू हो रहे हैं। राजधानी में करीब 25 हजार कारोबारियों पर इसका असर पड़ेगा। इन सभी के ऑडिट चार्टर्ड अकाउंटेंट भर रहे हैं, इसमें इन्हें नए प्रारूप में यह सारी जानकारी देनी होगी। डायरेक्टर और उच्च पदाधिकारियों को लोन के रूप में डीम्ड डिविडेंट देने वाली कंपनियों को भी इस लोन की सारी डिटेल भरनी होगी। आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक आयकर विभाग जीएसटी आने के बाद सिस्टम में आई पारदर्शिता का लाभ उठाकर

अपना कर संग्रह और करदाता दोनों की संख्या में बढ़ोतरी करना चाहता है। ऑडिट में जो नई जानकारियां भरी जा रहीं हैं, इससे व्यापारियों और कंपनी के उन साझेदारों की पहचान आसान होगी, जो अबतक कोई टैक्स ही नहीं दे रहे हैं। गार और जीएसटी के कई प्रावधानों से मिली राहत: सीबीडीटी ने इस बार जनरल एंटी एवाइडेंस रूल (गार) और जीएसटी के विभिन्न प्रावधानों से ऑडिटर्स को राहत दे दी है, लेकिन अगली बार 31 मार्च 2019 से यह अनिवार्य किए गए हैं।

नए बदलाव के बाद ये आएगें दायरे में
सीबीडीटी के द्वारा किए गए बदलाव के बाद वे सभी व्यापारी जिनका सालाना टर्नऑवर 2 करोड़ है और वे प्रोफेशनल जिनका टर्नओवर 50 लाख से ज्यादा है। इसमें व्यापारियों का प्रॉफिट कैश में 8 फीसदी और विक्रय में 6 फीसदी हो। वहीं प्रोफेशनल के मामले में यह टर्नओवर का 50 फीसदी हो।

इस तरह के सभी लोग आयकर अधिनियम के अनुच्छेद 44 एबी के तहत ऑडिट के पात्र हैं। कंपनी को अपनी जानकारी फॉर्म-3 सीए और 3 सीडी में देना है। अन्य को फॉर्म- सीबी और 3 सीडी के तहत यह जानकारी देना है। बाते दे कि राजधानी में इस ऑडिट के लिए 25 हजार करदाता पात्र हैं। इसमें ज्यादातर व्यापारी, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट और दूसरे कंसल्टेंट शामिल हैं।

गार के आने के बाद प्रावधान और सख्त होंगे
भले ही सरकार ने इस बार गार और जीएसटी के कुछ प्रावधानों की जानकारी ऑडिट में देने की अनिवार्यता को टाल दिया है, लेकिन इस के बाद ऑडिट में कई ऐसी जानकारियां मांगी जा रहीं हैं, जो पहले नहीं थीं। इसके चलते सरकार कारोबारी और कंपनी की ज्यादा से ज्यादा जानकारी एकत्र करना चाहती है। गार के आने के बाद यह प्रावधान और सख्त हो जाएंगे।

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