चुनावी मेनिफेस्टो में कर्ज माफी की पेशकश नहीं किया जाये, पर सुप्रीम कोर्ट में 22 अप्रैल को होगी सुनवाई

न्यूज़ डेस्क : उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर राजनीतिक दलों को उनके चुनाव घोषणापत्र में कर्ज माफी और माफ़ी  की योजनाओं की पेशकश करने से रोकने की मांग की गई है l याचिका में कहा गया है कि इन योजनाओं में सरकारी कोष का इस्तेमाल होता है और इसका अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ता है l

 

याचिका में कहा गया है कि केंद्र और राज्य को भी कर्जमाफी करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए l साथ ही बैंकों को गैर निष्पादित संपत्तियों को बटे खाते में डालने से रोके जाने की जरूरत है l याचिकाकर्ता  अधिवक्ता रीना एन सिंह ने दायर की हैl  यह न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा 22 अप्रैल को सुनवाई किया जाने के लिए सूचीबद्ध है l

सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्यों के कृषि नीति बनानी चाहिए जो इस क्षेत्र को लाभप्रद बनाएं और किसानों को समृद्ध बनाने में मदद करें तथा कृषि में उनकी रुचि बढे l  याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों को अपने चुनाव घोषणा पत्र में माफी योजना पेश करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए l 

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