अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा जी-7 हो गया है आउटडेटिड , इसमें भारत को शामिल करने की जरुरत

न्यूज़ डेस्क : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड जे ट्रंप अपने बयानों के लिए मशहूर हैं। यह दुनिया के देशों में निर्भर करता है कि वह अपने हिसाब से उसकी वैल्यू निकाल लें। राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को अमीर देशों के मजबूत संगठन जी-7 में भारत की इंट्री कराने का संकेत दे दिया है। इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। भारत ने राष्ट्रपति के इस कदम पर अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हां, राष्ट्रपति ट्रंप ने इसके जरिए एक बार चीन को नया संकेत दे दिया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप चीन को अलग-थलग करने के लिए भारत के साथ-साथ रूस की भी जी-7 में इंट्री करा सकते हैं।

 

 

अभी जी-7 के सदस्य देशों में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी और जापान हैं। जी-7 दुनिया के अमीर और ताकतवर देशों का संगठन है। पहले यह जी-7+1 था। अमेरिका ने बाद में रूस को इस संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

 

राष्ट्रपति ट्रंप चाहें तो कर सकते हैं : शशांक

पूर्व विदेश सचिव शशांक कहते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति चाहें तो ऐसा कर सकते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप के रूख से यही लग रहा है कि अमेरिका भारत को अपनी तरफ खीचना चाह रहा है। शशांक कहते हैं कि पहले जी-7+1 (रूस) था। बाद में अमेरिका ने उसे निकाल दिया था। अब यदि राष्ट्रपति ऐसा चाहें तो कर सकते हैं। इससे भारत के लोगों को लगेगा कि राष्ट्रपति ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी से हाथ ही नहीं मिलाते, गले ही नहीं लगाते बल्कि दिल से रिश्ता रखते हैं।

 

हालांकि शशांक का कहना है कि इससे चीन कुछ ज्यादा चिढ़ सकता है। लेकिन इसमें भारत को क्या करना? सदस्य बनने में कोई बुराई नहीं है। जी-7 में जापान है। आस्ट्रेलिया है। इस तरह से जापान के साथ दो देश एशिया के हो जाएंगे और अमेरिका, आस्ट्रेलिया, भारत, जापान का समूह भी कारगर हो जाएगा। शशांक का कहना है कि जी-7 में रूस को अमेरिका अनुमति दे सकता है। निश्चित रूप से इसका भी चीन पर असर पड़ेगा।

 

 

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है, आसान नहीं: रंजीत

रंजीत कुमार का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप कुछ भी बोल देते हैं। वह जो कह देते हैं, उसमें सब सही नहीं होता। वह इस समय चीन को चिढ़ा रहे हैं। वह चीन को घेरने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं। यह वक्तव्य भी उसका हिस्सा हो सकता है। वैसे भी अमेरिका में यह राष्ट्रपति का चुनावी साल है। रंजीत कुमार विदेश मामलों के गंभीर पत्रकारों में हैं। वह कहते हैं कि कदाचित ऐसा हो जाए तो अच्छा रहेगा। भारत की साख बढ़ेगी। हालांकि चीन ज्यादा चिढ़ने लगेगा।

 

रंजीत कुमार एक सवाल उठाते हैं। वह कहते हैं जी-7 में इटली और कनाडा भी हैं। इटली चीन का बेहद करीबी देश है। भारत से रिश्ते इस समय अच्छे नहीं हैं। कनाडा भी इसी तरह से अच्छे रिश्ते नहीं रखता। कनाडा सरकार में कई खालिस्तानी नेता मंत्री बन चुके हैं। ऐसे में ये दोनों देश जी-7 के विस्तार के प्रस्ताव को टाल सकते हैं।

 

 

ऐसा हुआ तो चीन की मुश्किल बढ़ेगी : रंजीत कुमार कहते हैं रूस और भारत दोनों जी-7 से जुड़ जाएं तो चीन की समस्या बढ़ सकती है। क्योंकि रूस के जुड़ने के बाद वह यूरोपीय देशों और अमेरिकी प्रतिबंधों से मुक्त हो जाएगा। उसकी शिकायत भी यही है। इसके बाद रूस को चीन के साथ खड़े रहने की मजबूरी कम दिखाई देगी। दूसरी तरफ भारत के जी-7 से जुड़ने के बाद हमारे देश का प्रभाव बढ़ जाएगा। चीन की पकड़ ढीली पड़ने लगेगी। हालांकि रूस, चीन, भारत तीनों एससीओ, ब्रिक्स, आरआईसी के भी सदस्य हैं।

 

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