केंद्रीय कर्मचारियों का टेंसन बढ़ा देगा सरकार द्वारा किया गया छुटियो के नियम में यह बड़ा बदलाव ढ़ा देगा सरकार द्वारा किया गया छुटियो के नियम में यह बड़ा बदलाव

न्यूज़  डेस्क : कोरोना संक्रमण में लॉकडाउन के चलते केंद्र सरकार के जिन कर्मियों को ‘वर्क फ्रॉम होम’ की सुविधा मिली थी, अब उनकी उपस्थिति को लेकर रोजाना नई उलझन खड़ी हो रही है। वित्त मंत्रालय और डीओपीटी इस बाबत कई दफा आदेश जारी कर चुका है। इतना ही नहीं, ‘वर्क फ्रॉम होम’ की अनुपस्थिति को किस तरह गिना जाएगा, ये भी बताया जा चुका है, लेकिन मामला अभी तक अधर में लटका है। रोजाना विभिन्न मंत्रालयों से सवाल-जवाब की लंबी फेहरिस्त आ रही है।

 

 

 

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कार्यालय ने अब इस संबंध में नए आदेश जारी किए हैं। इसमें उन सभी नियमों का उल्लेख किया गया है, जिनकी मदद से कर्मियों की उपस्थिति का मुद्दा हल हो सकता है। नए नियम बहुत से केंद्रीय कर्मियों की परेशानी बढ़ा सकते हैं। छुट्टियां समायोजित करने के नियमों में भी बदलाव हुआ है।

 

 

भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कार्यालय के अनुसार, अगर कोई कर्मी अपने दूसरे सहयोगी, जो कोविड पॉजिटिव है, उसके चलते संक्रमित हो गया है तो उसकी छुट्टियों को वर्क फ्रॉम होम मान लिया जाएगा। यदि किसी के परिवार में कोई सदस्य कोरोना संक्रमित है और उसके चलते उसे क्वारंटीन पीरियड में जाना पड़ता है, तो वह स्थिति भी वर्क फ्रॉम होम मानी जाएगी। इसमें ये बात भी जोड़ी गई है कि किसी कर्मी को केंद्र, राज्य, स्थानीय प्रशासन या दफ्तर के आदेशों के चलते ट्रांसपोर्ट सुविधा बंद होने के कारण क्वारंटीन होना पड़ रहा है, तो वह ‘वर्क फ्रॉम होम’ की श्रेणी में रहेगा। कोई कर्मी किसी भी सरकारी एजेंसी के आदेश यानी केंद्र, राज्य और स्थानीय प्रशासन, से क्वारंटीन पीरियड में जाता है और वहां स्टेशन लीव की स्थिति पैदा होती है तो उस क्वारंटीन अवधि को ऑफिशियल लीव मान लिया जाएगा।

 

 

 

कुछ ऐसे कर्मचारी भी रहे हैं, जो खुद ही होम क्वारंटीन हो गए थे। इसकी वजह, उनके घर में किसी दूसरे राज्य या विदेश से कोई का सदस्य आना है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कार्यालय ने इसे ऑफिशियल लीव की श्रेणी में शामिल किया है। एक सवाल यह पूछा गया है कि कोई अधिकारी कोरोना संक्रमित होने के कारण संस्थागत क्वारंटीन या होम क्वारंटीन है तो उसे रूपातंरित अवकाश की श्रेणी में शामिल किया जाएगा। इसके लिए मेडिकल प्रमाणपत्र दिखाना अनिवार्य नहीं होगा। वे कर्मचारी जो लॉकडाउन के दौरान प्रतिनियुक्ति से वापस आए हैं और उन्हें नियमानुसार होम क्वारंटीन होना पड़ता है तो उस स्थिति में उन्हें ड्यूटी पर या वर्क फ्रॉम होम श्रेणी की सुविधा मिलेगी।

 

 

 

केंद्र सरकार के कर्मियों ने ज्वाइनिंग टाइम को लेकर भी सवाल पूछे हैं। ज्वाइनिंग टाइम उस तिथि से माना जाएगा, जब शारीरिक तौर पर कर्मी अपनी सीट पर पहुंच जाता है या वह उस शहर में आता है, जहां उसका कार्यालय है। इस बाबत कहा गया है कि संबंधित कार्यालय को सीसीएस ज्वाइनिंग टाइम रूल्स का पालन करना होगा। कोरोनाकाल के लॉकडाउन की वजह से कोई कर्मचारी यदि ज्वाइनिंग टाइम नहीं ले पाता है तो उसका निदान भी सीसीएस ज्वाइनिंग टाइम रूल्स के तहत किया जाएगा।

 

 

 

कोई कर्मचारी प्रतिनियुक्ति से वापस लौटा है या तबादले पर आया है तो उसे ज्वाइनिंग करने के लिए शारीरिक तौर पर हेडक्वार्टर में जाना पड़ेगा या ईमेल आदि से काम चल सकता है। ऐसे कर्मी ईमेल आदि के माध्यम से अपने मुख्यालय को सूचित कर सकते हैं। वे कर्मचारी जो किसी ऐसी जगह पर रहते हैं, जहां स्थानीय एजेंसी ने कोरोना संक्रमण के कारण उस परिसर को सील कर दिया है तो उस स्थिति में सरकारी कर्मी अपने कार्यालय नहीं पहुंच सकता है। ऐसे में कर्मचारी को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे दी जाएगी। हालांकि उसे अपने कार्यालय में संबंधित प्रशासन या आरडब्ल्यूए का आदेश पत्र दिखाना होगा।

 

 

लॉकडाउन के दौरान कई इलाके ऐसे भी रहे हैं कि जहां कर्मी को उसकी सोसायटी या गांव से बाहर नहीं जाने दिया गया। ऐसे में कर्मियों की वह अवधि वर्क फ्रॉम होम मानी जाएगी। यदि कोई कर्मी इसका प्रमाण नहीं दे पाता है तो उसे अपनी अनुपस्थिति ठीक कराने के लिए नियमानुसार छुट्टी का आवेदन दे देना चाहिए। यदि कोई कर्मी लॉकडाउन के चलते अपने घर या किसी दूसरी जगह जाने के लिए हेडक्वार्टर की इजाजत नहीं लेता है या वह वापस नहीं पहुंच पाता है तो ऐसी स्थिति में उसे छुट्टी के लिए आवेदन दे देना चाहिए। यहां पर सीसीएस लीव रूल्स के तहत मामले का निपटारा होगा। कुछ कर्मी ऐसे हैं जो एलटीसी पर कहीं गए हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण समय पर हेडक्वार्टर नहीं पहुंच सके, इसकी वजह ट्रांसपोर्ट बंद होना रहा है। उन कर्मियों को ड्यूटी पर माना जाएगा, जिन्होंने किसी भी माध्यम से कार्यालय को सूचित किया है।

 

 

 

वे कर्मचारी, जिन्होंने लॉकडाउन से पहले छुट्टी के लिए आवेदन किया था और वे बिना हेडक्वार्टर की इजाजत के अपने घर या दूसरे स्थान के लिए निकल गए। ट्रांसपोर्ट बंद होने के कारण उनकी वापसी तय समय पर नहीं हो सकी। अगर कर्मी ने ये सब सूचनाएं तय समय पर अपने हेडक्वार्टर को दी हैं, तो उसे अनुपस्थित नहीं माना जाएगा। यदि वह ये सब सूचना नहीं भेजता है तो उसे छुट्टी के लिए आवेदन भेजना होगा। टूर पर गए कर्मी लॉकडाउन के कारण निर्धारित समय पर वापस ड्यूटी ज्वाइन नहीं कर पाते तो उन्हें यह सूचना बिना किसी विलंब के देनी होगी। उन्हें बताना होगा कि ट्रांसपोर्ट न होने के कारण वे तय समय पर ज्वाइन नहीं कर सके। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो छुट्टी का आवेदन दे दें।

 

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