नया समझौता ज्ञापन भारत और सिंगापुर के उद्योग और अनुसंधान संस्थानों को आर्थिक तथा सामाजिक चुनौतियों से संबंधित उत्पादों को संयुक्त रूप से विकसित करने में मदद करेगा

भारत और सिंगापुर के उद्योग और अनुसंधान संस्थान जल्द ही संयुक्त रूप से आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों से संबंधित नए उत्पादों का विकास करेंगे।

ऐसा भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा सिंगापुर सरकार के व्यापार और उद्योग मंत्रालय के बीच हस्ताक्षरित विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्रों में सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से संभव होगा।

डॉ. एस चंद्रशेखर, सचिव और डॉ. ली चुआन टेक, स्थायी सचिव द्वारा हस्ताक्षरित यह  समझौता ज्ञापन, सहयोग से उत्पन्न होने वाले लाभ को अनुकूलित करने की इच्छा रखने वाली कंपनियों और संस्थानों की सुविधा के लिए सहयोग विकसित करने में एक मांग-संचालित दृष्टिकोण का पालन करेगा। साथ ही यह कंपनियों और संस्थानों को ऐसे कार्यक्रमों का सहयोग और उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेगा जिससे वैज्ञानिकों और उच्च-स्तरीय विशेषज्ञों की गतिशीलता को बढ़ावा मिलता है।

सहकारी गतिविधियों में राष्ट्रीय अनुसंधान, विकास, और नवाचार नीतियों और प्रत्येक देश के कार्यक्रमों पर अनुभव साझा करना, वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान साझा करना, साझेदारी विकास गतिविधियों का आयोजन, कार्यशालाएं, वैज्ञानिक संगोष्ठियां, व्यावसायिक परिणामों के लिए प्रौद्योगिकी विकास को आगे बढ़ाने के लिए परस्‍पर हितों वाले औद्योगिक अनुसंधान और विकास, संयुक्त अनुसंधान और विकास (“आर एंड डी”) परियोजनाएं, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, तकनीशियनों और शोध छात्रों का आदान प्रदान, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, तकनीशियनों और शोध छात्रों का प्रशिक्षण और आम मुद्दों पर क्षेत्रों को कवर करने वाले सम्मेलन शामिल होंगेI

इस समझौता ज्ञापन में भारत और सिंगापुर के बीच कृषि और खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी, उन्नत विनिर्माण और इंजीनियरिंग, हरित अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, जल, जलवायु, और प्राकृतिक संसाधन, डेटा विज्ञान, उभरती हुई प्रौद्योगिकियां, उन्नत सामग्री और स्वास्थ्य एवं जैव प्रौद्योगिकी सहित विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्रों में आपसी सहमति से परस्पर हित के अन्य क्षेत्रों को भी शामिल किया जा सकता है।

दोनों देशों के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व को स्वीकार करते हुए यह समझौता ज्ञापन भारत-सिंगापुर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहयोग को और मजबूत करेगा।

यह ज्ञापन 5 (पांच) वर्षों की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा और इसे उससे अगले (पांच) वर्षों की क्रमिक अवधि के लिए स्वतः ही बढ़ाया जा सकेगा।

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार (“डीएसटी”) और एंटरप्राइज सिंगापुर (“ईएसजी”) के बीच एक कार्यान्वयन समझौते पर भी श्री एसके वार्ष्णेय, सलाहकार और प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, और श्री एडविन चाउ, सहायक मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किए गए।

यह समझौता निर्धारित करता है कि दोनों देश पारस्परिक रूप से सहमत क्षेत्रों में भारत और सिंगापुर संबंधों के दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने के लिए पारस्परिक रूप से काम करेंगे। सहयोग में सूचना के प्रसार को सक्षम करने के लिए सहयोग के चिन्हित क्षेत्रों में भागीदारी विकास गतिविधियों (पीडीए) और प्रमुख उद्यमों, आर एंड डी संगठनों और वित्त पोषण एजेंसियों की नेटवर्किंग को बढ़ावा देने के लिए आम चुनौतियों की पहचान करने और संयुक्त परियोजनाओं को विकसित करने के लिए; सिंगापुर और भारतीय कॉरपोरेट्स, संगठनों तथा नवाचार (इनोवेशन) एवं पारिस्थिकी (इकोसिस्टम) के बीच बातचीत का समर्थन करते हुए, क्रमशः लागू फंडिंग प्रावधानों के अनुसार सहयोगी उद्यम के नेतृत्व वाली संयुक्त आरएंडडी परियोजनाओं के सह-वित्तपोषण का आयोजन भी शामिल हो सकता है।

समझौता ज्ञापन यह भी निर्दिष्ट करता है कि भारत और सिंगापुर नियमित रूप से संभावित भविष्य के क्षेत्रों और सहयोग के रूपों पर चर्चा करेंगे, और इस समझौते के कार्यान्वयन की सालाना समीक्षा की जाएगी।

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