तेलंगाना चुनाव में तांत्रिक क्रियाओं के लिए हो रही है उल्लुओं की तस्करी

बेंगलुरु। कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में पुलिसकर्मियों ने तेलंगाना की सीमा से सटे सेदाम तालुके से 6 लोगों को इंडियन ईगल आउल की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया है। पूछताछ में तस्करों ने बताया कि पड़ोसी राज्य तेलंगाना में चुनाव लड़ रहे नेताओं ने राजनेताओं ने रात में जागने वाले पक्षियों का आर्डर दिया है। वे इनकी मदद से काला जादू कर अपने प्रतिद्वंद्वी के गुडलक को बैडलक में तब्दील करना चाहते हैं। तेलंगाना में सात दिसंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। गौर करने वाली बात यह है कि जहां इंग्लैंड और दूसरे देशों में वे (रात में जागने वाले पक्षी) बुद्धिमत्ता के प्रतीक हैं, वहीं भारत में माना जाता है कि वे अपने साथ बुरी किस्मत लेकर आते हैं। खासतौर पर तब जब उल्लू घर में दाखिल हो जाएं। इनका इस्तेमाल खासतौर पर अंधविश्वासपूर्ण प्रथाओं और काले जादू के लिए किया जाता है।

वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि शरारती तत्वों की योजना थी कि वह प्रत्येक उल्लू को तीन से चार लाख रुपए में बेचेंगे। एक अधिकारी ने बताया इंडियन ईगल आउल को कन्नड़ में कोम्बिना गूबे कहा जाता है। उन्होंने बताया इसके पीछे एक अंधविश्वास यह भी है कि इनके जरिए लोगों को अपने वश में किया जा सकता है। इन पक्षियों के पास बड़ी-बड़ी आंखें होती हैं, जो झपकती नहीं हैं। काला जादू करने में उल्लुओं के विभिन्न अंगों का इस्तेमाल किया जाता है। उल्लू के शरीर के सिर, पंख, आंखें, पैर जैसे अंग अभिमंत्रित करके सामने वाले प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार के घर के सामने फेंक दिए जाते हैं, ताकि वह चुनाव हार जाए।

बेंगलुरु से तीन, मैसूर से तीन और बेलागवी से दो ऐसे ही मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। वाइल्ड लाइफ कार्यकर्ताओं के अनुसार दिवाली और लक्ष्मी पूजा के समय भी उल्लुओं की भारी मांग होती है। कालबुर्गी सब-डिविजन में असिस्टेंट कन्जर्वेटर आर आर यादव ने कहा ऐसा लगता है कर्नाटक में उल्लू व्यापार का एक बड़ा नेटवर्क चल रहा है। हमें पता चला है कि कर्नाटक के जमाखंडी, बागलकोट जिलों से उल्लुओं को लाया गया और उन्हें सेदाम में एक मध्यस्थ के जरिए हैदराबाद भेजा जा रहा था। वह बताते हैं प्रत्येक का वजन तकरीबन 5 किलोग्राम था। ये उल्लू पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

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