सफलता की कहानीः स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण

हावड़ा में गंगा किनारे वाली 18 ग्राम पंचायतों में प्लास्टिक हटाने का अभियान चलाया गया

गंगा नदी को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिए पश्चिम बंगाल में हावड़ा जिले की जिला परिषद ने स्थानीय पंचायत समितियों और जीपी समुदायों के सहयोग से गंगा से सटी 18 ग्राम पंचायतों (जीपी) में प्लास्टिक हटाने का कार्यक्रम आयोजित किया।

ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) के माध्यम से ओडीएफ संधारणीयता और दृश्य स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) के चरण 2 को ध्यान में रखते हुए अप्रैल 2022 के दौरान इस पहल का आयोजन किया गया।

राज्य के हस्तक्षेप के अलावा, हावड़ा जिला परिषद गंगा नदी से सटे सभी प्रखंडों और उसके अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायतों के साथ सामुदायिक सहायता संगठन- आमरा सुषमा जलप्रपात के सहयोग से पवित्र नदी को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिए आगे आए हैं।

पहल के उद्देश्यः

  • जैव-विविधता की बहाली जिसके द्वारा नदी के मछली, सरीसृप, डॉल्फिन और अन्य जानवरों को सुरक्षित और संरक्षित किया जाता है
  • पानी के भीतर/जलीय इकोसिस्‍टम और जैव-विविधता का संरक्षण
  • यह सुनिश्चित करने के लिए कि कृषि प्रयोजनों के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध कराते हुए गंगा स्वच्छ रहे
  • नदी की गहराई को बनाए रखते हुए नदी की नौगम्यता बढ़ाने के लिए
  • गंगा से सटे क्षेत्रों में समुदायों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए

प्रमुख कार्यः

उक्त लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयास में, हावड़ा जिला परिषद ने ग्राम पंचायतों में एसएलडब्ल्यूएम और प्लास्टिक हटाने के कार्यक्रम शुरू किए हैं, बाद में हावड़ा में गंगा से सटे 3 प्रखंडों की 18 ग्राम पंचायतों में एसएचजी के सहयोग से चलाए गए। ये तीन प्रखंड हैंः- संकरैल (गांवः बानूपुर- I बानूपुर- II, संकरैल, दक्षिण संकरैल, रघुदेवबती, सारेंगा, मानिकपुर, झोरहाट, पंचपारा, थानामकुआ); उलुबेरिया-1 (गाँवः धुलाशिमला, हीरापुर, कालीनगर); और शामपुर-1 (गाँवः बनेश्वरपुर- I, बनेश्वरपुर- II, बेलारी, डिंगाखोला, नबाग्राम)।

अब तक की गई प्रगतिः हावड़ा जिला परिषद द्वारा किए गए कार्यों पर जागरूकता पैदा करने के लिए पहले प्रखंड स्तर पर आयोजित एक कार्यशाला के दौरान विभिन्न पहल शुरू की गईं। अब तक निम्नलिखित गतिविधियां शुरू की गई हैंः

  • 18 ग्राम पंचायतों में ओरिएंटे शन कार्यशाला का आयोजन किया गया।
  • गंगा से सटे क्षेत्रों से प्लास्टिक हटाने पर ओरिएंटेशन के लिए 5482 एसएचजी सदस्यों के साथ 180 बैठकें
  • बाजार समितियों के 756 सदस्यों व दुकान मालिकों के साथ 36 बैठकें
  • स्थायी प्रकृति के 36 प्लास्टिक संग्रह बक्से की स्थापना
  • सार्वजनिक स्थानों पर प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम 2021 पर 54 स्थायी डिस्प्ले बोर्ड की स्थापना
  • गंगा से सटे गांवों में 18 दिनों में 9.32 मीट्रिक टन प्लास्टिक कचरा एकत्र किया गया
  • पंजीकृत प्लास्टिक पुनर्चक्रणकर्ताओं को एकत्रित 8 एमटी प्लास्टिक भेजे गए
  • एसएचजी संघ के माध्यम से नियमित प्लास्टिक हटाने और परिवहन के लिए स्थायी नेटवर्क विकास जारी है

सामुदायिक भागीदारीः गंगा से सटे ग्राम पंचायत क्षेत्रों में कार्यक्रम को लागू करने में बड़ी संख्या में पीआरआई निर्वाचित प्रतिनिधियों, पंचायत कर्मचारियों, ग्राम समुदायों, स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों और बाजार विक्रेताओं की उत्साह और स्वैच्छिक भागीदारी उल्लेखनीय थी। पूरी पहल के दौरान स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी वास्तव में प्रशंसनीय थी। कार्यक्रम को स्थानीय लोगों ने खूब सराहा और उन्होंने हावड़ा जिला परिषद की पहल की सराहना की।

इस पहल के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के नियमित परामर्श के माध्यम से ग्राम पंचायत क्षेत्रों को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए एक स्थायी प्रणाली स्थापित की जाएगी।

लोगों को अन्य घरेलू कचरे के साथ-साथ प्लास्टिक कचरे को हर जगह फेंकने से रोकने के लिए आबादी के बीच व्यवहार परिवर्तन के लिए निरंतर प्रयास किए जाएंगे। स्थानीय ग्राम पंचायतें इस पहल का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी जो गंगा नदी को स्वच्छ रखने और नदी के किनारे के जीवन को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण होगी।

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