नए साल में निवेश में कहां बरतें सावधानी और जानें कहां बनेगा मोटा पैसा

नई दिल्ली। वर्ष 2018 निवेश के लिहाज से खट्टे-मीठे अनुभवों वाला साल रहा है। वहीं नया साल 2019 उन निवेशकों के लिहाज से काफी मुफीद माना जा रहा है जो जोखिम के साथ मोटा मुनाफा कमाने को तैयार रहते हैं। इस बारे में पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट अजय केडिया बताया, अगर बीते 4 वर्षों की बात करें तो इस इंडस्ट्री में सुधार एवं विस्तार बेहद कम दिखा है। इसमें एक ठहराव की स्थिति देखने को मिली है। अगर इकोनॉमी बेहतर होती है तो प्रॉपर्टी सेक्टर के बेहतरी की उम्मीद न के बराबर होती है। वहीं रेरा के कार्यान्वयन, इसमें हुए संशोधनों एवं इसके लूपहोल्स के कारण भी यह स्थिति देखने को मिली है। इसके अलावा जीएसटी की दरों ने भी इस सेक्टर को बेहतर करने से रोक रखा है।”

केडिया ने बताया कि प्रॉपर्टी पर जीएसटी की दर 12 फीसदी, इसकी ऑपरेशनल कॉस्ट 6 फीसदी और एक से दो फीसदी का एजेंट कमीशन जोड़ दें तो प्रॉपर्टी पर करीब 20 फीसदी तक का टैक्स लागू हो रहा है। इसके बाद अगर यह सेक्टर 35 फीसदी तक का रिटर्न न दो इसमे निवेश करना घाटे का ही सौदा माना जाएगा। उन्होंने बताया कि साल 2018 में प्रॉपर्टी की आपूर्ति काफी रही है और इसके वर्ष 2019 में भी अधिक रहने का अनुमान है। काफी सारे प्रोजक्ट के वर्ष 2019 में पूरा होने का अनुमान है और प्रधानमंत्री आवास योजना के कारण भी बाजार में आपूर्ति में और तेजी देखने को मिल सकती है। सप्लाई बढ़ने पर प्रॉपर्टी पर निवेश में भी इजाफा नहीं होता है। प्रॉपर्टी की वर्तमान आपूर्ति को देखते हुए और इस सेक्टर में बढ़ते उपभोग के मद्देनजर इस सेक्टर में निवेश पर अच्छा रिटर्न लगभग असंभव सा मालूम देता है।

नए साल में गोल्ड में भी निवेश से बचेगा निवेशक: केडिया ने बताया कि भारत में गोल्ड को लिक्विडिटी एसेट्स माना जाता है। भारत में लोग गोल्ड को पर्चेज से ज्यादा कंज्यूम (उपभोग) करते हैं। वर्ष 2013 की बात करें तो भारत सोने (गोल्ड) का सबसे ज्यादा आयात करने वाला देश था, उस वक्त तक करीब 1000 टन सोना आयात होता था। वहीं अगर आखिरी पांच वर्षों का परिदृश्य देखें तो इस आयात में 25 फीसद तक की कटौती देखने को मिली है। इस कटौती के साथ ही भारत का आयात 700 से 750 टन तक आ पहुंचा है। इसलिए वर्ष 2019 में निवेश के लिहाज से गोल्ड बेहतर नहीं रह गया है क्योंकि इक्विटी मार्केट काफी बेहतर कर रहा है। गोल्ड के प्रति लोगों के इस नकारात्मक रूझान की दो प्रमुख वजहें हैं। पहला सरकार ने सोने के आयात पर 10 फीसदी की इंपोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) लगा रखी है। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने 2 लाख से ज्यादा के सोने के लेन-देन पर पैन कार्ड अनिवार्य कर दिया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दक्षिण भारत की शादियों में न्यूनतम 500 से 600 ग्राम सोने की खपत हो ही जाती है यह सोचकर देखिए कि पैन कार्ड की अनिवार्यता इन निवेशकों को कितना हतोत्साहित करती होगी।

केडिया ने बताया कि मोटा मुनाफा कमाने वालों के लिए आमतौर पर सुझाए जाने वाले विकल्प दो प्रकार के होते हैं। केडिया ने बताया कि बीते 2 से तीन वर्षो के भीतर करेंसी मार्केट निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प के तौर पर उभरा है। इस मार्केट ने निवेशकों को मुनाफे की तमाम संभावनाएं उपलब्ध कराईं हैं। बीते 2 महीनों में रुपया 6 फीसद तक का करेक्शन दिखा चुका है। जब देश की इकोनॉमी बेहतर होती है तो रुपये में भी सुधार होता है। हाल के ही कुछ वर्षों में रुपये में लगातार सुधार दिखा है। वर्ष 2013 में रुपया डॉलर के मुकाबले 70 के स्तर पर कारोबार कर रहा था, वहीं इसने वर्ष 2014 में 58.32 का स्तर भी छुआ। इस हिसाब से इसमें करीब 13 फीसद का रिटर्न मिला। आमतौर पर इलेक्शन पीरियड के दौरान करेंसी में मजबूती देखने को मिलती है। वहीं वर्ष 2019 में इकोनॉमी के बूस्ट होने के चलते करेंसी के और तेज होने की संभावनाएं बढ़ गईं हैं। माना जा रहा है कि वर्ष 2019 में रुपया डॉलर के मुकाबले 63 का स्तर भी छू सकता है जो कि वर्तमान में 70 के आस-पास ट्रेड कर रहा है। इस हिसाब से इसमें 10 से 12 फीसद के रिटर्न की गुंजाइश नजर आ रही है।

म्युचुअल फंड्स: अगर निवेश के पैसिव विकल्पों की बात करें तो म्युचुअल फंड में डायरेक्ट निवेश बेहतर विकल्प माना जाता है। जैसा कि म्युचुअल फंड मार्केट में पारदर्शिता बढ़ी है और डिजिटल मोड के कारण लोगों तक इसकी पहुंच आसान हुई है लिहाजा वर्ष 2019 में इसके बेहतर रिटर्न देने की उम्मीद ज्यादा है। हाल के ही कुछ वर्षों की बात करें तो इसका सीएजीआर 13 से 14 फीसद रहा है।

आईपीओ मार्केट: वर्ष 2019 में आईपीओ मार्केट के भी बेहतर करने की उम्मीद है। वर्ष 2018 में काफी सारी कंपनियों के आईपीओ का आना प्रस्तावित था, लेकिन वो किन्हीं कारणों से लंबित रह गए। अब उनके वर्ष 2019 में आने की उम्मीद है। जो आईपीओ 2019 में आ सकते हैं उनमें ये प्रमुख हैं।
लोढ़ा डेवलपर्स
पतंजलि
आईआरसीटीसी
एनएसई
कल्याण ज्वैलर्स
यूटीआई म्युचुअल फंड्स
जानकारी के लिए आपको बता दें कि आमतौर पर वो ही कंपनियां अपना आईपीओ लाने का फैसला करती हैं जिनमें तेजी जारी होती है और आगे भी तेजी रहने की संभावना तेज रहती है।

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