रेलवे अस्पताल में वेतन घोटाला, फर्जी डॉक्टरों के नाम पर हो रहा था वेतन, भत्ते व एरियर का भुगतान

नई दिल्ली । उत्तर रेलवे के केंद्रीय अस्पताल में वेतन घोटाला सामने आया है। अस्पताल में नौ फर्जी डॉक्टरों के नाम पर पिछले दो वर्षों से वेतन, भत्ते व एरियर का भुगतान किया जा रहा था और किसी अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लगी। पिछले दिनों लेखा विभाग ने इस मामले को पकड़ा और सतर्कता विभाग को मामले की जांच सौंपी।

सीनियर क्लर्क निलंबित

प्रारंभिक जांच के बाद अस्पताल के सीनियर क्लर्क को निलंबित कर उसके एवं नौ अज्ञात लोगों के खिलाफ पहाड़गंज पुलिस थाने में शिकायत दी गई है। आरोपी उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन केंद्रीय अस्पताल इकाई का अध्यक्ष भी है। कुछ महीने पहले दिल्ली मंडल में भी फर्जी कर्मचारियों के नाम पर वेतन व भत्तों के भुगतान का मामला सामने आया था।

रिकॉर्ड की जांच

केंद्रीय अस्पताल का वेतन पास करते समय उत्तर रेलवे के लेखा विभाग को कुछ कर्मचारियों को किए जा रहे भुगतान पर शक हुआ। इसके बाद सोमवार को लेखा विभाग की टीम ने अस्पताल पहुंचकर रिकॉर्ड की जांच की। उन्हें इसमें कुछ गड़बड़ी लगी तो इसकी जांच सतर्कता विभाग को सौंप दी गई। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि लगभग दो वर्ष पहले नौ लोगों का नाम रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था जिनका कोई अता पता नहीं है। इन लोगों को 80 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान किया जा चुका है। इस मामले में सीनियर क्लर्क भरत धूपड़ को निलंबित कर सारा रिकॉर्ड जब्त कर लिया गया है।

पुलिस भी कर रही है जांच 

अधिकारियों का कहना है कि वेतन में गड़बड़ी की जांच करने का काम सीनियर पर्सनल मैनेजर का होता है जो कि अपने जिम्मेदारी निभाने में असफल रहा है। इसलिए उसका भी तबादला कर दिया गया है। विभागीय जांच के साथ ही पुलिस भी इसकी जांच कर रही है। जांच पूरी होने के बाद ही यह पता चल सकेगा इस घोटाले में और कितने लोग शामिल हैं और कितने का गबन हुआ है। आशंका है कि यह राशि करोड़ों में जा सकती है।

रिकॉर्ड की जांच में आसानी 

इसी वर्ष जनवरी में भी दिल्ली मंडल में फर्जी कर्मचारियों के भुगतान का मामला सामने आया था। इस मामले में एक महिला कर्मचारी को निलंबित किया गया था। मामले की जांच अभी चल रही है। वहीं, इस घटना के बाद रेलवे बोर्ड ने सभी मंडलों को दो वर्षों के वेतन भुगतान की जांच करने का निर्देश दिया था। माना जा रहा है केंद्रीय अस्पताल का घोटाला भी इसी वजह से पकड़ में आ सका है। अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों का वेतन आइ पास नाम के सॉप्टवेयर में दर्ज होता है। इससे रिकॉर्ड की जांच में आसानी होती है।

इस संबंध उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नितिन चौधरी का कहना है कि मामले की जांच हो रही है। जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

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