आरएसएस और बीजपी शरिया कोर्ट के नाम पर राजनीति कर रही हैं

नई दिल्ली । ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) द्वारा हर जिले में शरिया अदालत बनाने के फैसले को लेकर हुए विवाद पर बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने कहा है कि आरएसएस और बीजपी शरिया कोर्ट के नाम पर राजनीति कर रही हैं। जिलानी ने यह भी साफ किया कि बोर्ड ने कभी भी हर जिले में शरिया कोर्ट बनाने की बात नहीं कही।

उन्होंने बताया कि हमारा मकसद है कि इसकी स्थापना वहां की जाए, जहां इसकी जरूरत है।
जिलानी ने कहा, ‘बोर्ड अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है। यह जागरूकता फैलाने के लिए देश भर में वर्कशॉप आयोजित करेगा।’ बोर्ड के इस बयान से यह धारणा बनी कि मुस्लिम समाज को एक अलग न्यायिक व्यवस्था की जरूरत है।

इस मामले पर संविधान विशेषज्ञ और नैशनल अकैडमी लीगल स्टडीज ऐंड रिसर्च के कुलपति प्रफेसर फैजान मुस्तफा का कहना है, ‘देश में ऐसे करीब 100 शरिया बोर्ड (दारूल कजा) पहले से हैं। अब 100 और खुल जाएंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।’

मुस्तफा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि दारूल कजा समानांतर न्यायिक व्यवस्था नहीं है। अलग अदालत बनाने पर रोक है। न्यायालय ने कहा है कि यह निजी अनौपचारिक विवाद निपटान तंत्र है। कानून इस बात की इजाजत देता है कि कोई अपने मसलों को अदालत के बाहर मध्यस्थता से हल कर लें।

ऐसा नहीं है कि जो लोग इनमें जाते हैं कि उनका देश के संविधान में यकीन नहीं है, या देश की विधि व्यवस्था में भरोसा नहीं है। देश की विधि व्यवस्था खुद इस बात की इजाजत देती है कि आप अपने दीवानी मामले, अगर चाहें तो अदालत के बाहर आपसी सलाह-मशविरे से या किसी के बीच-बचाव से हल करा सकते हैं।

Comments are closed.