बैंक भ्रष्टाचार मामले में महबूबा मुफ्ती के खिलाफ मिले सबूत, हो सकती है गिरफ्तार

न्यूज़ डेस्क : जम्मू-कश्मीर बैंक भ्रष्टाचार मामले में जांच एजेंसी को पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उनके कई सहयोगियों (पूर्व मंत्रियों) के खिलाफ पक्के सबूत हाथ लग गए हैं। ऐसे में अब इन नेताओं की मुसीबतें बढ़ने जा रही हैं। आने वाले दिनों में किसी भी वक्त इन नेताओं की गिरफ्तारी हो सकती है। सूत्र बताते हैं कि एनआईए को ऐसे पक्के सबूत मिले हैं, जिनसे यह पता चलता है कि उक्त नेताओं ने जम्मू-कश्मीर बैंक में अपनी मनमर्जी से काम कराया है।

 

करीब 48 हजार खाते ऐसे मिले हैं, जिनमें कई तरह की अनिवार्य सूचनाओं का अभाव है। कुछ खाते तो ऐसे पाए गए हैं, जिनमें नाम पता गलत होने के अलावा व्यक्तिगत पहचान बताने वाला कोई दस्तावेज ही नहीं लगा है। इसके अलावा बैंक में ऐसे कर्मियों की भर्ती की गई, जिन्होंने कथित नेताओं के इशारे पर आतंकी संगठनों की मदद के लिए तय मापदंडों को दर-किनार कर रुपये का लेनदेन किया।

 

बैंक के पूर्व अध्यक्ष से होगी पूछताछ : राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा जम्मू-कश्मीर बैंक में हुए कथित भर्ती घोटाले की जांच में दो बातें सामने आ रही हैं। पहली, जम्मू-कश्मीर सरकार के इशारे पर तय नियमों का उल्लंघन कर बैंक कर्मियों की भर्ती की गई। दूसरा, आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद पहुंचाने के मकसद से बैंकिंग के तमाम मापदंड किनारे रख दिए गए। जांच एजेंसी के सूत्र बताते हैं कि इस मामले में बैंक के पूर्व अध्यक्ष परवेज अहमद से भी पूछताछ की जाएगी।

बता दें कि बैंक में भर्ती घोटाले, भ्रष्टाचार और आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद पहुंचाने के आरोपों के चलते परवेज अहमद को दो माह पहले उनके पद से हटा दिया गया था। आरोप यह भी है कि उन्होंने नियमों के विपरीत जाकर 1,000 करोड़ रुपये के ऋण को डायवर्ट किया था। एसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक में हुई कई नियुक्तियां पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उनके सहयोगी मंत्रियों की सिफारिश पर की गई थी।

साल 2011 में भी एनआईए द्वारा जम्मू-कश्मीर बैंक में आतंकी संगठनों को वित्तीय मदद देने के आरोपों की जांच की गई थी। उस वक्त यह आरोप लगे थे कि विदेशों से धन मंगाने वाली कई प्राइवेट एजेंसियों द्वारा इस बैंक में धन ट्रांसफर किया गया था।

 

सिफारिश पर लगे कर्मियों ने बैंक के सारे नियम तोड़े : 

जांच एजेंसी के मुताबिक, महबूबा मुफ्ती और उनके मंत्रियों की सिफारिश पर लगे बैंक कर्मियों ने सारे कायदे कानूनों को ताक पर रख दिया। उन्हें मालूम था कि कुछ खातों में आतंकी गतिविधियों के लिए बाहर से धन आ रहा है। जिन खातों में वह धन आता था, उनमें जानबूझकर कई कॉलम खाली रखे गए या फिर वहां गलत सूचना डाल दी गई। बैंक की कार्यप्रणाली में कई दूसरी विसंगतियां भी देखने को मिली हैं। जांच में पता चला है कि लंबे समय में बैंक में संदिग्ध गतिविधियां चल रही थीं। यह सब आतंकी वित्तपोषण की ओर इशारा कर रहा था।

2017 में आतंकी फंडिंग का एक मामला सामने आया था। उसमें पता चला कि आरोपी जेकेएलएफ नेता यासीन मलिक और दुख्तारन-ए-मिलत संगठन की आसिया अंद्राबी, जेकेएफपीएफ के अलगाववादी नेता शब्बीर शाह और मुस्लिम लीग के मसर्रत आलम सहित कई लोगों के जम्मू-कश्मीर बैंक में खाते हैं, लेकिन उनके पास कोई वैध दस्तावेज नहीं था। बैंक से एक समय में कितनी धन राशि निकाली जा सकती है या किसी के खाते में कितनी राशि जमा हो सकती है, इस बाबत सभी नियम तोड़ दिए गए। 

मनमर्जी से लोन दिया गया और बिना दस्तावेजों के बैंक खाते खोलकर मनमर्जी से रुपये का लेनदेन किया गया। दूसरे बैंकों में ग्राहकों से जैसे केवाईसी यानी अपने ग्राहक को जानें, फार्म भरवाया जाता है, जम्मू-कश्मीर बैंक के अनेक खाताधारकों से यह सब नहीं कराया गया। कई खातों में ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड और फोन नंबर तक नहीं लिखा था।

 

बिना जांच पड़ताल के लोन दे दिया, खाते में करोड़ों आए : जांच में सामने आया है कि बैंक ने बिना कोई जांच किए कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी गतिविधियों के नाम पर भारी मात्रा में धन का वितरण कर दिया था। इसके लिए पर्याप्त दस्तावेज भी नहीं जमा कराए गए। किसके खाते में कहां से पैसा आ रहा है और कौन कितना निकाल रहा है, बैंक कई खातों के मामले में यह सब नहीं देख रहा था। इन गतिविधियों में वही कर्मी शामिल हैं, जिन्हें नेताओं की सिफारिश पर नौकरी दी गई थी। एनआईए ने शक के आधार पर जब ऐसे कई खातों की जानकारी मांगी तो जवाब मिला कि बैंक के पास ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।

यहां तक कि बैंक के पास खाताधारक का फोन नंबर तक भी नहीं था। बैंक की ओर से संदिग्ध खातों की जानकारी संबंधित एजेंसियों को नहीं दी गई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा इस मामले में पूर्व विधायक इंजीनियर राशिद को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई थी। उनसे भी एजेंसी को कई अहम सुराग मिले हैं। इसी आधार पर अब महबूबा मुफ्ती और सहयोगियों की मुसीबतें बढ़ने जा रही हैं।

 

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