प्राचीन सभ्यताओं ने भी दिया होगा ग्‍लोबलाइजेशन पर जोर

वाशिंगटन : अमेरिका की यूनीवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि प्राचनी सभ्यताओं ने ग्लोबलाइजेशन पर जोर दिया होगा। एकीकृत वैश्विक अर्थव्यवस्था का लाभ भी समाजों को सदियों से मिलता रहा होगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि अलग-अलग दौर में हर समाज आर्थिक उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि प्राचीन सभ्यताओं के वैश्वीकरण की प्रक्रिया के बारे में अब तक जो कुछ भी अनुमान लगाए जाते रहे हैं, यह उससे कहीं ज्यादा रही है।यह अध्ययन जिन-जिन जगहों पर किया गया उनमें पश्चिमी अमेरिका, ब्रिटिश द्वीप, आस्ट्रेलिया और उत्तरी चिली शामिल थे।

इन स्थानों में प्राचीनकाल के बीज, जानवरों की हड्डियों और जली हुई लकड़ियों के संरक्षित कार्बनिक अवशेषों की कार्बन डेटिंग की गई। आरंभिक वैश्वीकरण संभवत: प्रवास, व्यापार और अन्य के साथ संघर्ष के जरिये समाज का विकास करने की रणनीति रही होगी।

यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा के सहायक प्रोफेसर जकापो ए बैजिओ ने बताया कि यह आंकड़े 400 साल पहले तक के हैं। इसमें जैविक अर्थव्यवस्थाओं से लेकर जीवाश्म ईंधन अर्थव्यवस्था तक बहुत ज्यादा परिवर्तन देखने को मिला।

अध्ययन के लिए करीब 10 हजार साल से लेकर 400 साल के इतिहास की अवधि के दौरान ऊर्जा की खपत को मापने के लिए रेडियो कार्बन डेटिंग और ऐतिहासिक रिकार्डों का उपयोग किया गया।

जिस दौर का अध्ययन किया गया उसमें ज्यादातर अवधि वर्तमान होलोसीन युग की रही। ऊर्जा की खपत जितनी ज्यादा होगी, समाज में आबादी भी उतनी ही बढ़ेगी और राजनीतिक तथा आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी।

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