मध्य प्रदेश : 500 का उपहार मिलने पर सरकार को देनी होगी जानकारी, नहीं तो जाएगी नौकरी

न्यूज़ डेस्क : अगर आप सरकारी नौकरी कर रहे हैं और आपको आपके रिश्तेदार या दोस्त से पांच सौ रुपये का उपहार मिला है तो इसे सबसे पहले सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज कराएं, नहीं तो ये आप पर ही भारी पड़ सकता है। अगर ऐसा नहीं किया तो आपकी नौकरी जा सकती है। इस नई व्यवस्था ने 44 सालों से सरकारी नौकरी करने वालों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

 

 

सरकार ने शासकीय सेवकों के लिए 1976 में आचरण नियम बनाए हैं। इन नए नियमों के मुताबिक कर्मचारियों को नौकरी के दौरान छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। शासकीय सेवक नियम के आधार पर यह साफ है कि बिना शासक के मंजूरी के कोई उपहार नहीं स्वीकार किया जाएगा। 

 

हालांकि सरकार की ओर से पांच सौ रुपये की राशि बढ़ाकर पांच हजार करने की कवायद चल रही है लेकिन रिकॉर्ड्स में अभी भी पुरानी राशि दर्ज है। शासकीय सेवकों को लेकर कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां कर्मचारी रिटायर तो हो गए लेकिन उनको उपहार के लिए मंजूरी नहीं मिली। 

 

स्वास्थ्य सेवाओं से सेवानिवृत्त अजय माथुर का कहना है कि उन्होंने 16 जनवरी 2015 में रिश्तेदार से मिले उपहार के लिए अनुमित मांगी और 2019 में वो रिटायर हो गए लेकिन सेवा में रहते उन्हें इस उपहार के लिए मंजूरी नहीं मिली। इसके अलावा स्वास्थ्य से रिटायर आशालता बताती हैं कि 1,000 रुपये राशि की साड़ी मायके से उपहार में मिली लेकिन मंजूरी के लिए जवाब नहीं मिला।

 

विवाह की सालगिरह, धार्मिक कार्यक्रमों जैसे मौकों पर पहले या दूसरे अधिकार श्रेणी का अधिकार नजदीकी रिश्तेदारों से पांच सौ रुपये तक उपहार ले सकता है लेकिन इसके बारे में सरकार को जानकारी देनी होगी। जबकि तीसरी श्रेणी के कर्मचारियों के लिए यह राशि 250 रुपये है और चौथी श्रेणी के लिए ये 100 रुपये है।

 

साल 1976 में शासकीय सेवकों को लेकर आचरण के नियम बने थे, तब से लेकर अबकर 3,200 से ज्यादा कर्मचारियों ने उपहार लेने से पहले सरकार से अनुमति ली, लेकिन साल 2000 के बाद 340 मामले ऐसे हैं जिसमें सरकार ने आपत्ति दर्ज करा दी।

 

सरकार को उपहार की राशि बढ़ाने पर विचार करना चाहिए और नियमों का सख्त पालन करना चाहिए। अगर सरकार उपहार की राशि बढ़ा रही है तो उसे सार्वजनिक करें ताकि कर्मचारियों को छोटी-छोटी बातों के लिए परेशान ना होना पड़े। बता दें कि उपहार संबंधी नियमों में समय-समय पर संशोधन हुए हैं।

 

Comments are closed.