जिग्नेश और रावण मिलकर यूपी में दलित राजनीति को दे सकते हैं नई धार

लखनऊ : भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की 15 माह जेल में रहने के बाद रात रिहा हो गया है। रावण की रिहाई को सियासी गलियारों में खासा अहम माना जा रहा है।

चंद्रशेखर रिहाई के साथ गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी की सक्रियता भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बढ़ेगी और चंद्रशेखर के रूप में दलितों का नया नेतृत्व मिल सकता है। बता दें कि गुजरात के दलित नेता जिग्नेश पिछले लंबे समय से रावण के समर्थन में सक्रिय रहे हैं और वह सहारनपुर के भी कई बार दौरे कर चुके हैं।

न्होंने रावण को लोकसभा चुनाव लड़ाने की बात कह रखी हैं अब जब रावण की रिहाई हो रही है तो माना जा रहा है कि जिग्नेश, रावण के साथ मिलकर प्रदेश में दलित राजनीति को नई गति प्रदान कर सकते है। जेल से रिहा होते ही रावण ने बीजेपी पर जमकर भड़ास निकलते हुए कहा कि बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकना है।

रावण ने समर्थकों से कहा, न सोना और न सोने देना जब तक कि 2019 में बीजेपी को सत्ता से उखाड़ न दें। मैं जेल से बाहर काम करने के लिए आया हूं। सहारनपुर जातीय हिंसा मामले में जेल में बंद तीन अन्य आरोपियों सोनू, सुधीर व विलास को 6 सिंतबर को ही रिहा किया जा चुका है।

सरकार के इस आदेश को दलित हितैषी छवि का संदेश देने का हिस्सा माना जा रहा है। भीम आर्मी बनाकर सुर्ख़ियों में आने वाले रावण को 8 जून 2017 को हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था।

गिरफ्तारी के बाद दलित समाज ने इसका जबरदस्त विरोध किया था। जिसके बाद जिले में दो दिन तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी।

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