#संभव है : श्रद्धा को विश्वास में बदलने से सब संभव है –विश्वबंधु

 जीवन में हम सभी लोगों को श्रद्धा तो होती है परंतु विश्वास नहीं होता l हमें भगवान में श्रद्धा है हम उनकी पूजा करते हैं हम उनके सामने घुटने टेकते है  पर बहुत कम लोग विश्वास करते हैं कि जो कुछ हुआ है ,और जो होगा उनके कारण ही होगा l क्योंकि जब बात विश्वास की होती है तो सभी को संदेह होने लगता है की क्या पता कार्य होगा नहीं होगा l श्रद्धा है ईश्वर मे  मांगते भी है परन्तु पूर्ण विश्वास नहीं रखते की उनकी मांग पूरी होगी l

 

जो लोग अपनी श्रद्धा को विश्वास से मिला देते हैं श्रद्धा को विश्वास में बदल देते हैं उनको हर वह चीज मिलती है ,जो भी उनको चाहिए l ऐसे लोग जीवन में बहुत आगे निकल जाते हैं क्योंकि यह स्थिति हर जगह हर क्षेत्र में लागू होती है कि आपको जिस भी चीज पर जिस भी बात पर श्रद्धा है उसमें विश्वास होना चाहिए l यह दोनों श्रद्धा और विश्वास एक दूसरे के पूरक है ,अगर आपको किसी भी चीज में श्रद्धा होता है परंतु अगर आप विश्वास नहीं कर पा रहे हैं तो फिर आपकी श्रद्धा भी सफल नहीं होगी और न ही कोई परिणाम मिलेगा l 

 

इस पूरे बात को हम एक उदाहरण से समझा सकते है – एक बार एक कलाकार निअग्रा फॉल के ऊपर एक रस्सी बंधता है और उसके ऊपर चलता है l पहली बार एक कोने से दूसरे कोने पैदल चलता है, दूसरी बार उस रस्सी पर साइकिल से जाता है ,तीसरी बार वह उस रस्सी पर साइकिल के साथ चलाते हुए कुछ खाते हो जाता है और चौथी बार वह अपने साथ उस रस्सी पर साइकल पर अपने दोस्त को बिठा के ले जाता है l वहां उपस्थित सभी दर्शक बड़े खुश होते हैं उसकी सराहना करते हैं तालियां बजाते हैं और उसके कार्य से बड़े उत्साहित होते हैं l इसके बाद वह सबके बीच आता है और सब से पूछता है आप लोगों को भरोसा है कि मैं वापीस से एक बार फिर वह कर सकता हूं जो मैंने किया है ? सभी उसकी बातों मे  हां में हां मिलाते हैं और कहते हैं कि आप कर सकते हो l वह कलाकार फिर पूछता है कि आप सब को क्या भरोसा है मैं एक बार और उस रस्सी पर साइकिल चला सकता हूं ? फिर सभी जोर से बोलते हैं की सब को भरोसा है l क्योंकि सब को उसके ऊपर श्रद्धा थी और उसपर विश्वास भी था सब को यह देखने के बाद की वह लगातार चार बार उस रस्सी को पार कर चुका है, वह इस काम को वापिस कर सकता है क्योकि यहाँ सबको उसपर श्रद्धा और विश्वास था l  फिर अंत में वह पूछता है  आप सबको विश्वास है कि मैं पार कर जाऊंगा तो अब आप बताएं कि आप सब में से कौन मेरे साथ उस रस्सी पर मेरे साइकिल पर सवार होगा  ? सभी चुप हो जाते हैं कोई तैयार नहीं होता जबकि कुछ देर पहले सब ने उसको उस रस्सी के ऊपर चलते हुए, साइकिल चलाते हुए देखा है l परंतु कोई तैयार नहीं होता क्यों  ? क्योंकि सबको श्रद्धा है उसके ऊपर परंतु विश्वास नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि अब उनकी जान खतरे मे है l

 

तो मनुष्य अगर श्रद्धा और विश्वास से खुद को जोड़ ले  तो फिर सब काम संभव है और सब कुछ संभव हो सकता है l इसलिए जो भी मनुष्य श्रद्धा को विश्वास के साथ मिला देता है वह हमेशा सफल होता है और उसके लिए सब कुछ संभव है l इसलिए जिस भी   चीज मे श्रद्धा हो उसमे विश्वास कराय और जहा   विश्वास हो उसको श्रद्धा करे फिर देखे सब कुछ संभव है l 

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