हॉकिंग को गलत साबित किया भारतीय वैज्ञानिक ने

नई दिल्ली : महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग ने अपने जीवन में ब्रह्मांड के बहुत से राज सुलझाए। ‘ब्लैक होल’ को लेकर उन्होंने जो बातें बताईं, उसके बाद सारी दुनिया में उनकी धमक मच गई। अपनी किताब को लेकर स्टीफन हॉकिंग एक बार फिर चर्चाओं में हैं। एक भारतीय वैज्ञानिक ने अब दावा है कि उसने इस रहस्य को हॉकिंग से पहले उजागर किया था। आभास मित्रा नाम के ये वैज्ञानिक मुंबई के ‘भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर’ में काम करते हैं।

उन्होंने साल 2000 में अपने एक रिसर्च पेपर में एक थ्योरी पब्लिश की थी। मित्रा की इस थ्योरी के मुताबिक, ब्लैक होल असल में कोई एक वस्तु या कोई आकाशीय पिंड नहीं है। इसका कारण है कि वो अल्बर्ट आइन्स्टीन की ‘थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी’ के मुताबिक काम नहीं करते। मित्रा ने ये भी बताया था कि ब्रह्मांड में जितने भी ब्लैक होल हैं, वो दरअसल सिकुड़ते हुए ‘करीब करीब’ पूरे ब्लैक होल हैं। ऐसी ही थ्योरी हॉकिंग ने साल 2014 में पेश की थी। हॉकिंग की थ्योरी के मुताबिक, ब्लैक होल कोई ठोस पिंड नहीं हैं,

इसलिए उनकी कोई बाउंड्री नहीं होती। एक ‘लगभग सीमा’ होती है, जिसके बाद ब्लैक होल से बाहर निकली हुई वस्तु का स्वरूप पूरी तरह बदलकर बाहर आता है। जबकि अब तक माना जाता था कि ब्लैक होल के अन्दर जो जाता है वो वापस नहीं आता। मित्रा का दावा है कि जब उन्होंने अपना यह रिसर्च पेपर लिखा था,

उन्होंने कई बड़े वैज्ञानिकों को इसे पढ़ने के लिए भेजा था। इनमें स्टीफन हॉकिंग भी शामिल थे। मित्रा ने हॉकिंग सहित दूसरे बड़े थ्योरेटिकल फिजिसिस्ट्स से रिक्वेस्ट भी की थी कि उनकी इस थ्योरी पर संवाद भी करें। लेकिन मित्रा का दावा है कि उन्हें हॉकिंग की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। मित्रा का दावा है कि उन्होंने ना सिर्फ हॉकिंग से पहले ब्लैक होल पेराडॉक्स हल किया था, बल्कि उनकी एक थ्योरी को भी गलत साबित कर दिया था।

मित्रा ने दावा किया था कि 1974 में हॉकिंग के दिए सिद्धांत जिसके अनुसार ब्लैक होल एक खास तरह के रेडिएशन निकालते हैं, असल में गलत है। मित्रा के अनुसार ना तो ‘हॉकिंग का रेडिएशन’ सिद्ध हो पाया है ना ही आने वाले समय में उसे सिद्ध किया जा पाएगा। हालांकि बीते कुछ समय से हॉकिंग ब्लैक होल को छोड़कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम कर रहे थे।

साथ ही वो एलिएंस से संपर्क करने के एक प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहे थे। इसी बीच मित्रा एस्ट्रोफिजिक्स के क्षेत्र में खूब काम करते रहे। उन्हें यह भी लगता है कि उनके टैलेंट के साथ अन्याय हुआ है। लेकिन हॉकिंग के जाने से मित्रा भी दुखी हैं। दुखी इसलिए क्योंकि भले ही काम के क्षेत्र में हॉकिंग ने कभी मित्रा के काम की रिस्पेक्ट ना की हो,

लेकिन 62 साल के मित्रा के लिए शुरूआती दौर से ही हॉकिंग एक प्रेरणा के स्रोत थे।भाभा इंस्टिट्यूट के हेड ऑफ डिपार्टमेंट बन गए, लेकिन एक गम है जो उन्हें बहुत परेशान करता रहा। गम ये था कि मित्रा को अपने बेहतरीन काम के बावजूद कभी वो अंतर्राष्ट्रीय दर्जा नहीं मिल पाया जो हॉकिंग को मिला।

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