रेलवे में नौकरी का झांसा देकर ठग लिए एक करोड़ से अधिक रुपए, सात आरोपी फरार

नई दिल्ली । सरकारी नौकरी के लालच में कई लोग अपनी मेहनत की कमाई दांव पर लगा देते हैं और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है। राजधानी में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। इसमें 11 लोगों ने रेलवे में टिकट निरीक्षक की नौकरी के लिए 1.1 करोड़ रुपये गवां दिए। एक साल तक इन लोगों का परिवार ठगों को खोजता रहा, लेकिन जब रकम वापसी की आस नहीं दिखी तो मानसरोवर पार्क थाने में शिकायत दी।

सभी आरोपी फरार

शिकायत के बाद पुलिस ने सात ठगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया है। एफआइआर में सूर्य प्रताप सिंह, मंजू सिंह, सीमा सिंह, सोनू खान, रणवीर सिंह, अर्जुन सिंह और राम प्रसाद को आरोपी बनाया गया है। केस दर्ज होने के बाद से सभी आरोपी फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।

खुद को बताया बड़ा अधिकारी

इस मामले में शिकायतकर्ता बीएस राजावत और मांगी लाल प्रजापत ने बताया कि वे राजस्थान में रहते हैं। उनके कुछ रिश्तेदार राजधानी के द्वारका और विवेक विहार इलाके में रहते हैं। राजस्थान के जयपुर में एक सामाजिक संस्था के कार्यक्रम में उनकी मुलाकात छह आरोपियों से हुई थी। यहां सूर्य प्रताप ने खुद को वायुसेना का कैप्टन, मंजू सिंह ने कृषि वैज्ञानिक और अन्य आरोपियों ने इसी तरह खुद को बड़ा अधिकारी बताया। आरोपियों ने अपना ठिकाना दिल्ली बताया।

खेल-कूद कोटे में टिकट निरीक्षक की नौकरी 

इसके बाद बीएस राजावत और मांगी लाल प्रजापत ने अपने रिश्तेदारों के साथ 5 मार्च, 2017 को दिल्ली में इनसे फिर मुलाकात की। इस बार उन्होंने सोनू खान को रेलवे में बड़ा अधिकारी बताकर परिचय करवाया। उन्होंने कहा कि सोनू किसी को भी खेल-कूद कोटे में टिकट निरीक्षक की नौकरी लगवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें 15-15 लाख रुपये खर्च करने होंगे। बीएस राजावत के मुताबिक करीब 11 बच्चों के अभिभावकों ने 10-10 लाख रुपये देने की हामी भर दी। इसकी पहली किश्त के रूप में 60 लाख रुपये शाहदरा के जीटी रोड स्थित पंजाब नेशनल बैंक के बाहर आरोपियों को नकद दिए गए। इसके बाद उनसे आवेदन पत्र भरवाने के साथ फोटो और दस्तावेज ले लिए गए।

पहुंच गए नियुक्ति पत्र 

7 अप्रैल को मेडिकल टेस्ट के लिए अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ जयपुर बुलाया गया। यहां अस्पताल के बाहर एंबुलेंस में ही एक कथित डॉक्टर ने आकर सभी बच्चों की जांच की और उनकी रिपोर्ट तैयार करके सौंप दी। 2 जून को कुछ बच्चों के नियुक्ति पत्र उनके पते पर पहुंच गए। यह देखकर सभी को भरोसा हो गया। सभी लोगों ने मिलकर बाकी के 50 लाख रुपये आरोपियों को दे दिए।

रेलवे भवन पहुंचने पर खुली पोल 

जुलाई में जब ये बच्चे नियुक्ति के लिए रेलवे भवन पहुंचे तो उन्हें फर्जीवाड़े का पता चला। इस पर अभिभावक आरोपियों से संपर्क करने लगे तो बताया गया कि उन्हें पैसा लौटा दिया जाएगा, लेकिन बाद में आरोपी धमकी पर उतर गए। इसके बाद थाने में शिकायत दी गई।

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