Budget 2018: राजकोषीय अनुसाशन के लिए रहेगा सब्सिडी नियंत्रण पर जोर

नई दिल्ली। राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने की चुनौती के मद्देनजर सरकार आम बजट 2018-19 में सब्सिडी नियंत्रण पर जोर देगी। अगले वित्त वर्ष में सब्सिडी बिल घटकर जीडीपी की तुलना में 1.3 फीसद होने का अनुमान है। हालांकि केंद्र खाद्य सब्सिडी में कटौती नहीं करेगा।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सब्सिडी बिल जीडीपी का 1.4 प्रतिशत पर नियंत्रित रखने का लक्ष्य रखा है। आम बजट 2018-19 में सब्सिडी पर व्यय को जीडीपी के 1.3 प्रतिशत पर सीमित रखा जा सकता है। इस तरह सब्सिडी में जीडीपी के मुकाबले कम से कम 0.1 प्रतिशत की कटौती करने का इरादा है।

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष के आम बजट में सरकार ने सब्सिडी की प्रमुख मदों में भारी भरकम 2,40,339 करोड़ रुपये आवंटन किया है। इसमें से लगभग 60 प्रतिशत धनराशि खाद्य सब्सिडी के लिए आवंटित की गयी है, जबकि शेष राशि खाद और ईंधन पर सब्सिडी के रूप में खर्च होनी है।

सूत्रों ने कहा कि सब्सिडी पर नियंत्रण करने की कवायद के बीच सरकार खाद्य सुरक्षा कानून के लिए धनराशि आवंटन में कोई कंजूसी नहीं करेगी। खाद्य सब्सिडी के लिए चालू वित्त वर्ष में 1,45,339 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। खाद्य सब्सिडी के लिए बजट अगले वित्त वर्ष में बढ़कर 1,75,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो कि एक रिकॉर्ड होगा।

सूत्रों का कहना है कि खाद्य सब्सिडी में बढ़ोतरी की एक वजह यह है कि सभी राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू हो चुका है और करीब 80 करोड़ लोग इसके दायरे में हैं। इसलिए साल दर साल खाद्य सब्सिडी बढ़ना लाजिमी है। दूसरी वजह यह है कि भारतीय खाद्य निगम ने राष्ट्रीय लघु बचत कोष से जो धनराशि उधार ली थी, अब उसका भुगतान होना है। यही वजहें हैं, जिसके चलते खाद्य सब्सिडी के बजट में वृद्धि करने की जरूरत पड़ रही है।

जहां तक पेट्रोलियम उत्पादों का सवाल है तो उनकी सब्सिडी पहले ही खत्म हो चुकी है। अब रसोई गैस और केरोसिन पर जो सब्सिडी है, उसकी लीकेज रोकने और नियंत्रित करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं ताकि रसोई गैस सब्सिडी को नियंत्रित किया जा सके।

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