‘रिटर्न टू द मून : सेकेंड्स टू अराइवल’ में इज़राइली समूह की चांद की यात्रा दिखाएगा डिस्कवरी चैनल

चैनल ने डिस्कवरी एक्सक्लूसिव नाम की एक नई सीरीज शुरू की है, जो सम-सामयिक वैश्विक घटनाक्रमों पर एक अलग तरह का कॉन्टेंट प्रस्तुत करेगा

मुंबई, 17 अप्रैल 2019। अंतरिक्ष युग की शुरुआत से अब तक केवल तीन देशों ने चांद पर अपना अंतरिक्ष यान उतारा है – अमेरिका, सोवियत संघ और चीन। अब 2019 में पहली बार एक निजी टेक्नोलॉजी कंपनी ने इस सूची में शामिल होने का प्रयास किया है।  सोमवार 22 अप्रैल को रात 10 बजे शुरू हो रहा है, एक घंटे का डिस्कवरी एक्सक्लूसिव स्पेशल शो ‘रिटर्न टू द मून : सेकेंड्स टू अराइवल’, जिसमें डिस्कवरी चैनल, स्पेस-आईएल के एक मिशन में शामिल पुरुष और महिलाओं की यात्रा दिखाएगा, जिसमें वे चांद की सतह पर पहली बार निजी वित्तीय सहायता प्राप्त अंतरिक्ष यान उतारेंगे। डिस्कवरी चैनल के अलावा इस शो का प्रसारण एक ही समय पर डिस्कवरी एचडी वर्ल्ड, डिस्कवरी साइंस और डिस्कवरी तमिल चैनल पर किया जाएगा।

 

स्पेस-आईएल तीन युवा इज़राइली इंजीनियरों ने शुरू किया था जिनके नाम है – यारिव बैश, केफिर दमारी और योनाटैन वाइनट्रॉब। यह इंटरनेशनल गूगल लूनार एक्स-प्राइज़ में शामिल होने वाली संस्थाओं में से एक है, जिसने वैज्ञानिकों को चुनौती दी थी कि वे चांद पर भेजने के लिए एक मानवरहित अंतरिक्ष यान बनाएं, इसे लॉन्च करें और इसे चांद की सतह पर उतारें। 2017 में इज़राइल की एकमात्र प्रतिनिधि कंपनी स्पेस-आईएल, पहले 5 फाइनलिस्ट में शामिल हो गया, लेकिन 2018 में गूगल ने विजेता के नाम की घोषणा किए बिना यह कॉन्टेस्ट बंद कर दिया। हालांकि इस घटना से हौसला ना हारते हुए स्पेस आईएल, लोगों की मदद और निजी वित्त सहायता के जरिये संघर्ष करती रही।

 

चंद्रमा पर उतरने का उनका प्रयास, दरअसल स्पेस आईएल और इज़राइल की एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के 8 साल के संयुक्त प्रयास का परिणाम था। यह यान चांद पर उतरने वाला सबसे छोटा अंतरिक्ष यान बन सकता था। इस यान को स्पेस-एक्स फाल्कन 9 रॉकेट के सेकेंडरी पेलोड के रूप में 2 महीने के अभियान पर केप कैनेवरल, फ्लोरिडा से लांच किया गया था।

 

डिस्कवरी कम्युनिकेशंस इंडिया के प्रीमियम और डिजिटल नेटवर्क की वाइस प्रेसिडेंट ज़ुल्फिया वारिस ने कहा, “यह एक टीम की असाधारण कहानी है, जिसने वो करने का प्रयास किया गया जो इससे पहले केवल चंद देशो ने किया था। मानवीय प्रयासों की ऐसी कहानियां दिखाना हमारे मिशन का एक अभिन्न हिस्सा है। डिस्कवरी इसी बात के लिए जाना जाता है। इस शो में नई सीरीज – डिस्कवरी एक्सक्लूसिव की शुरुआत हो रही है, जो समसामयिक वैश्विक घटनाक्रमों पर ऐसी अभूतपूर्व सामग्री दिखाएगा, जो हमारी दुनिया को नया रूप दे रही हैं।”

 

इस शो में बात करते हुए खगोल विज्ञानी और अंतरिक्ष सलाहकार साराह क्रूडैस ने कहा, “चांद पर खोज करने का हमारा इतिहास 15 हजार वर्ष पुराना है, जब इंसान इस बात को जानने का प्रयास कर रहे थे कि पृथ्वी के ऊपर क्या छिपा है। हालांकि पिछली सदी में ही चांद पर जाने की कल्पना ही एक साइंस फिक्शन से एक हकीकत बनने लगी। इस समय हम अंतरिक्ष को लेकर हो रही गतिविधियों में भारी बदलाव देख रहे हैं। अब यह सिर्फ देेशों की सरकारों का मामला नहीं रह गया है, बल्कि अब लोग और निजी कंपनियां से भी इससे जुड़ रही हैं।”

 

यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा के ग्रह विज्ञानी डॉक्टर फिलिप मेट्ज़र कहते हैं, “अंतरिक्ष यान का हार्डवेयर बनाने में सबसे बड़ी चुनौती होती है, इसे बना पाना। इस तरह का अनुभव आप किसी और तरीके से नहीं ले सकते बल्कि आपको इसे करके देखना होता है।  स्पेस-आईएल ने पहले कदम से शुरुआत की थी। इसमें उन्होंने ताप से बहुत ज्यादा सुरक्षा नहीं की, साथ ही नेविगेशन सिस्टम भी न्यूनतम रखा, ताकि वे इसे एक कम खर्चीला मिशन बना सकें। इसमें कोई भी चीज विफल हो सकती है और इस पूरे मिशन को खत्म कर सकती हैं। या तो यह असफल होगा या फिर यह चांद पर जाएगा।”

 

पिछले कुछ दशकों की सबसे बड़ी खोजों में से एक है चंद्रमा पर पानी की खोज। चंद्रमा का पानी ग्रेनाइट से भी सख्त है। यह दरअसल जमा हुआ ठोस बर्फ है। ऐसे में चंद्रमा पर पानी निकालना वैसा ही है जैसे खदान से पत्थर खोदना। हमारे पास हनी बी रोबोटिक्स जैसी कंपनियां हैं जो जिन्होंने ड्रिल्स तैयार किए हैं क्योंकि चंद्रमा पर मौजूद पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विघटित करके रॉकेट फ्यूल तैयार किया जा सकता है। वहां ढेर सारा पानी है। एक चंद्रमा भूविज्ञानी के अनुमान के अनुसार, 1000 वर्ष तक रोजाना एक स्पेस शटल लॉन्च करना पर्याप्त होगा। यही स्पेस-आईएल मिशन की सबसे बड़ी खासियत है। वे यह दिखाना चाहते हैं कि हम अंतरिक्ष में मौजूद संसाधनों तक पहुंच सकते हैं और पृथ्वी से दूर भी माइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग कर सकते हैं। समस्त सौरमंडल तक पहुंचने के लिए चंद्रमा हमारा लॉन्चिंग पैड है।”

डिस्कवरी स्टूडियोज़ के लिए ‘रिटर्न टू द मून : सेकंड्स टू अराइवल’ का निर्माण डिस्कवरी और साइंस चैनल ने किया है। डिस्कवरी स्टूडियोज के लिए सैंडी जैरो जैरेल, सिंडी कैन और माइकल हैकर, एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं। डिस्कवरी और साइंस चैनल के लिए होवार्ड स्वर्ट्ज़ और बिल होवार्ड, एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर हैं।

देखिए स्पेस आईएल की प्रेरक कहानी – ‘रिटर्न टू द मून : सेकेंड्स टू अराइवल’, शुरू हो रहा है सोमवार 22 अप्रैल को रात 10 बजे, जिसका प्रसारण डिस्कवरी, डिस्कवरी एचडी वर्ल्ड, डिस्कवरी साइंस और डिस्कवरी तमिल चैनल पर एक साथ किया जाएगा।

    

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