देश में करोडों लोग होंगे जलवायु परिवर्तन से प्रभावित

नई दिल्ली । अगर अभी भी नहीं संभले तो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से हमारे देश के करोडों लोग प्रभावित होंगे। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक देश में 60 करोड़ लोग इससे गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अलग-अलग स्थानों पर अलग है, लेकिन भारत समेत समूचे दक्षिण एशिया में कई ऐसे हॉटस्पॉट बन रहे हैं, जहां इसका दुष्प्रभाव ज्यादा होगा। इसलिए इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण भारत में दो बड़े बदलाव सामने आ रहे हैं। एक तापमान में बढ़ोतरी हो रही है, दूसरे मानसून का पैटर्न बदल रहा है। ये दोनों बदलाव अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकते हैं। इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है, जो देश की जीडीपी की कुल 2.8 फीसदी के बराबर होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके प्रभावों से 2050 तक देश की आधी आबादी का रहन-सहन प्रभावित हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि 2050 तक तापमान में 1-2 डिग्री तक बढ़ोतरी होने का अनुमान है।

लेकिन यह बढ़ोतरी तब होगी, जब भारत जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए पेरिस और अन्य समझौते के प्रावधानों को लागू करे। लेकिन अगर ये उपाय नहीं किए गए तो बढ़ोतरी 1.5 से लेकर तीन डिग्री तक की हो सकती है। जलवायु परिवर्तन के खतरे से देश में एक हजार से ज्यादा हॉटस्पॉट बन गए हैं। उन क्षेत्रों को हॉटस्पॉट कहा गया है जहां यह खतरा ज्यादा है। सर्वाधिक प्रभावित दस जिलों में सात जिले महाराष्ट्र के विदर्भ के हैं जबकि तीन जिले छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के हैं।

जिन दस राज्यों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा उनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, पंजाब, चंडीगढ़, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ शामिल हैं। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक प्रभावित होने की संभावना व्यक्त की गई है।रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा प्रभाव चार क्षेत्रों में होगा। इनमें पहला है,स्वास्थ्य, दूसरा खेती, तीसरा उत्पादकता तथा पलायन। इन चार क्षेत्रों में चुनौतिया बढ़ेंगी। रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन का असर लोगों के रहन-सहन पर पड़ेगा।

इससे रहन-सहन के स्तर में पूरे देश में 2.8 फीसदी की कमी आएगी। लेकिन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में यह कमी नौ फीसदी से भी अधिक की होगी। कमी का आकलन 2010 के उपभोग के स्तर पर किया गया है। जलवायु परिवर्तन के हॉटस्पॉट महानगरों में चेन्नई, कोलकात्ता और मुंबई पर सबसे ज्यादा खतरे की बात कही गई है। जबकि, पड़ोसी देशों के महानगर ढाका और कराची पर भी यह खतरा मठडरा रहा है।

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