कोरोना भारत में अनौपचारिक क्षेत्र के 40 करोड़ कर्मचारियों को गरीबी की ओर धकेल सकता है : अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन

न्यूज़ डेस्क : पूरी दुनिया में संकट का कारण बना कोरोना वायरस भारत में गरीबी को बढ़ाने में भी बड़ा कारण साबित हो सकता है। जेनेवा में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की ओर से मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कोरोना वायरस अनौपचारिक क्षेत्र के 40 करोड़ कर्मचारियों को गरीबी की ओर धकेल सकता है। रिपोर्ट में लॉकडाउन और अन्य कंटेनमेंट कारणों की वजह से नौकरियां जाने व आय प्रभावित होने की बात कही गई है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘कोरोना वायरस पहले ही अनौपचारिक क्षेत्र के लाखों लोगों को प्रभावित कर चुका है। लॉकडाउन और अन्य जरूरी कंटेनमेंट संबंधी फैसलों के चलते भारत, नाइजीरिया और ब्राजील में अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी बड़ी संख्या में प्रभावित हुए हैं।’ भारत में अनौपचारिक क्षेत्र के लगभग 90 फीसदी यानी 40 करोड़ कर्मचारियों पर इस संकट के दौरान भीषण गरीबी के दायरे में जाने का खतरा है।

 

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ भारत में लॉकडाउन के वर्तमान मानकों ने इन कर्मचारियों को सीधे तौर पर प्रभावित किया है। इसकी वजह से इनमें से अधिकतर ग्रामीण इलाकों की ओर जाने के लिए मजबूर हो गए।’ भारत में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए तीन सप्ताह यानी 21 दिन के लिए लॉकडाउन लगाया गया था। इसकी मियाद 21 अप्रैल को खत्म हो रही है। आईएलओ के मुताबिक भारत के पास ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद नहीं हैं। 

 

क्या है अनौपचारिक क्षेत्र

अनौपचारिक क्षेत्र वह क्षेत्र है जिसमें वो सभी नौकरियां या काम आते हैं जिनका कोई प्रमाणिक आय स्रोत नहीं है और जिन पर कोई कर नहीं दिया जाता है। इसमें सड़क पर ठेला लगाने वाले, बाजार में रेहड़ी लगाने वाले, जूता पॉलिश करने वाले, हॉकर, डोर टू डोर सेल्समैन आदि आते हैं। 

 

दुनियाभर में 19.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियां खतरे में

संगठन ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण केवल दूसरी तिमाही में ही 19.5 करोड़ पूर्णकालिक नोकरियां खत्म हो सकती हैं। इस महामारी और इसकी रोकथाम के लिये दुनिया भर में जारी ‘लॉकडाउन’ के कारण कल-कारखाने और अन्य व्यवसाय बुरी तरीके से प्रभावित हुए हैं।


आईएलओ का अनुमान वायरस के प्रभाव के आकलन पर आधारित है। इससे पहले, आईएलओ ने 18 मार्च को नौकरियां जाने का एक अनुमान जताया था। उस अनुमान के मुकबले मौजूदा अनुमान कहीं बड़ा है। आईएलओ के महानिदेशक गाई राइडर ने कहा, ‘ये आंकड़े स्वयं बताते हैं कि स्थिति कितनी भयावह है। दुनिया भर के कामगार मौजूदा संकट से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।’

संगठन ने कहा कि पूर्ण या आंशिक रूप से ‘लॉकडाउन’ के कारण करीब 2.7 अरब कामगार प्रभावित हुए हैं। यह वैश्विक कार्यबल का करीब 81 फीसदी है। इसमें से होटल और खाद्य क्षेत्र, विनिर्माण और खुदरा क्षेत्र में काम करने करने वाले करीब 1.25 अरब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

 

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