आजाद लब– जय जवान, जय किसान के बीच फसी दिल्ली– विश्वबंधु

न्यूज़ डेस्क : यह देश किसानों का है, किसानों को अन्नदाता कहते हैं, किसानों के लिए अनेक प्रकार की सहायता राशि और उनके सामाजिक सुरक्षा के लिए अनेक योजनाएं सभी सरकार बनाती रही है और बना रहे हैं । वर्तमान में भी मौजूदा मोदी सरकार में उनके हितों की रक्षा करने के लिए नया कृषि कानून बिल लेकर आई है , जिस पर गतिरोध जारी है । इसी गतिरोध को आगे बढ़ाते हुए 26 जनवरी के दिन जो कि देश का एक पवित्र त्यौहार का दिन होता है उस दिन किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालने की घोषणा की रैली निकाली परंतु वह भारत की इतिहास की सबसे दुर्भाग्यपूर्ण  रैली कही जाएगीी । किसानों ने जो अपना रूप दिखाया और पूरेे दिल्ली को बंधक बना लिया और पूरे दिल्ली में हिंसा करते हुए लाल किला के अंदर घुस के लाल किला पर कब्जा कर लिया ।
पूरे दिन लाल किला पर कब्जा करके वह लोग लाल किला में तोड़फोड़ करते रहे लोकतंत्र की दुहाई देते रहें और तंत्र्र म लोकतंत्र की हत्या करते रहे । इस पूरे घटनाक्रम मे सैनिकों और दिल्ली पुलिस ने  जो अनुशासन जो दिखाया है वह अभूतपूर्व है । आज तक इतना संयम किसी भी पुलिस और सेना के द्वारा देश में कभी भी नहीं दिखाया गया है, परंतु जिस किसान आंदोलन को पूरे देश को आंशिक या पूर्ण समर्थन प्राप्त था वह पूरा का पूरा अब एक आक्रोश में बदल गया है और यह पूरा हिंसा मोदी सरकार के पक्ष में चली गई है । जिस कृषि कानून को लेकर मोदी सरकार अपने कदम पीछे हटाने को मजबूर हुई थीी, वही  मोदी सरकार अब इस  हिसा के बाद  आक्रामक रूप रूप में दिख रही है । यह हार मोदी सरकार की है या हार बीजेपी की हो या हार किसानों की हो यह फर्क नहीं पड़ताा, मुक्त मुख्य बात तो यह है कि आज देश हार गया अपने ही लोगों से यह देश हार गया । इस देश को कभी कोई हरा नहीं सका पर आज अपने आप को तथाकथित किसान कहने वाले लोगों ने पूरे विश्व में देश  की जग हसाई कराई  है । 
यह अत्यंत निंदनीय है । जय जवान आज हर किसी के मुंह से निकल रहा है हर कोई अपने देश के जवानों पर आज गर्व कर रहा है उनके संयम पर गर्व कर रहा है, परंतु जय किसान कहने में लोग थोड़ा संकोच कर रहे हैं यह देश जय जवान, जय किसान के नारे से बना था परंतु अब जय किसान बोलने में शर्म आ रही है और दिल्ली जवानों और किसानों के बीच अपना रास्ता ढूंढती नजर आ रही है । दिल्ली की सल्तनत अब जवानों के भरोसे किसानों के ऊपर नियंत्रण करेगी और किसान बेबस कुछ नहीं कर पाएंगे क्योंकि उन्होंने जो किया है उसने पूरे दिल्ली को बेबस बना के रख दिया था । सभी किसान संगठनों को  चाहिए कि यथाशीघ्र केंद्र सरकार से वार्ता कर इस हिंसा के ऊपर अपना स्पष्टीकरण देते हुए इस आंदोलन को समाप्त करें और एक नए स्वरूप शांति के साथ आगे की रणनीति के ऊपर विचार करें । इस हिंसा में मोदी सरकार  को हारी हुई बाज़ी को जीत में बदलने का अवसर प्रदान कर दिया है  और जीता हुआ किसान आज अपनी इस हरकत से हार चुका है और जीत उसके हाथों से मिट्टी की रेत की तरह खिसक गई है ।

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