डिजिटल शिक्षा और सक्रिय कौशल के अमृत मंत्र के माध्यम से आत्मनिर्भरता प्राप्त करना


ब्रेकआउट सत्र: एवीजीसी में उद्योग-कौशल संबंध को मजबूत करना

आज डिजिटल शिक्षा और सक्रिय कौशल के अमृत मंत्र के जरिए आत्म-निर्भरता प्राप्त करने के प्रयास में शिक्षा क्षेत्र से संबंधित बजट 2022 के कार्यान्वयन पर एक वेबिनार आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वेबिनार को संबोधित किया। इस अवसर पर संबंधित केंद्रीय मंत्री और शिक्षा, कौशल विकास, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान से जुड़े प्रमुख हितधारक मौजूद थे। यह वेबिनार बजट से पहले और बाद में हितधारकों के साथ चर्चा और संवाद के नए अभ्यास का हिस्सा था।

एवीजीसी में उद्योग-कौशल संबंध की मजबूती विषय पर ब्रेकआउट सत्र का संचालन टेक्नीकलर इंडिया के कंट्री हेड श्री बीरन घोष ने किया। इस सत्र की सह-अध्यक्षता सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्व चंद्रा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के अपर सचिव श्री अतुल तिवारी ने की। पैनल में पुनर्युग प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ श्री आशीष कुलकर्णी, ग्राफिटी मल्टी मीडिया प्रा. लिमिटेड के सह-संस्थापक श्री मुंजाल श्रॉफ और रेड चिलीज एंटरटेनमेंट प्रा. लिमिटेड के सीओओ-वीएफएक्स निर्माता श्री केतन यादव शामिल थे।

सत्र का संचालन करने वाले श्री बीरेन घोष ने प्रारंभ में ही बताया कि सत्र इस सवाल पर केंद्रित है कि बजट घोषणा को आर्थिक वास्तविकता में कैसे बदला जाए।

अपने उद्घाटन भाषण में श्री अपूर्व चंद्रा ने कहा कि बजट भाषण में एवीजीसी कार्यबल की घोषणा एक महत्वपूर्ण घटना है जो एवीजीसी क्षेत्र के महत्व और देश में रोजगार पैदा करने में इसकी भूमिका को दर्शाती है। यह क्षेत्र कुशल जनशक्ति को अवसर प्रदान कर सकता है और समग्र रूप से मीडिया और मनोरंजन उद्योग की रीढ़ बन सकता है। श्री चंद्रा ने कहा कि भारत इस क्षेत्र में विश्व की सामग्री निर्माण का केंद्र बन सकता है। उन्होंने रेखांकित किया कि मंत्रालय कार्यबल का गठन करते समय इस सत्र के इनपुट पर विचार करेगा।

श्री चंद्रा ने यह भी बताया कि पिछले 7 वर्षों में इस क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि हुई है और उचित प्रोत्साहन के साथ जल्द ही यह विश्व में अग्रणी बन सकता है। उन्होंने आगे कहा कि गेमिंग के कंटेंट क्रिएशन पार्ट के लिए उच्च कौशल की जरूरत होती है और हम कार्यबल के जरिए उस पर फोकस करना चाहते हैं।

श्री अतुल तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि लंबे समय से उपेक्षित रहा एवीजीसी क्षेत्र अब न केवल पहचाना जा रहा है बल्कि तीव्र गति से बढ़ रहा है और अब इस क्षेत्र को बौद्धिक पूंजी और शिक्षा की आवश्यकता है।

श्री तिवारी ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना सहित कौशल मंत्रालय द्वारा की जा रही गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण दिया। उन्होंने बताया कि आईटीआई और पीएम कौशल केंद्रों आदि के तहत लघु और दीर्घकालिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। श्री तिवारी ने मौजूद लोगों को इस क्षेत्र में कौशल विकास के लिए आवश्यक किसी भी तरह की सहायता का आश्वासन दिया।

श्री आशीष कुलकर्णी ने कहा भारत के पास सौ साल से अधिक की फिल्म निर्माण अनुभव है और यह दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनाता है जो यह साबित करता है कि भारतीय कहानी कहने में बेहतर हैं। हालांकि, इस क्षेत्र के लिए शिक्षा और कौशल ऐतिहासिक रूप से उपलब्ध नहीं रहे हैं।

श्री कुलकर्णी ने बताया कि 2030 तक इस क्षेत्र में कम से कम 20-25 लाख लोगों को सीधे रोजगार देने की जरूरत है। इसके लिए आवश्यक शिक्षा प्राप्त करने योग्य होने के लिए स्कूलों में कम उम्र से ही इस क्षेत्र के लिए कौशल तैयार करना शुरू कर देना चाहिए। ग्रामीण भारत इस क्षेत्र के लिए प्रतिभा को विकसित करने का एक उपजाऊ जमीन प्रदान करता है। उत्कृष्टता केंद्र को प्रोडक्शन और शिक्षा दोनों में वैश्विक मानकों को ध्यान में रखते हुए सही बेंचमार्क बनाना चाहिए।

श्री मुंजाल श्रॉफ ने कहा कि एवीजीसी क्षेत्र में भारत की साख आज स्पष्ट रूप से स्थापित हो गई है। अब जरूरत इस बात की है कि बच्चों को अपनी प्रतिभा तलाशने और उसे निखारने के लिए कौशल मंच मिले। निरंतर शिक्षा के माध्यम से प्रतिभा का विकास भी होना चाहिए और इसके लिए एक ज्ञान बैंक बनाने की जरूरत है। इसके लिए शीर्ष पेशेवर आगे आ सकते हैं और शिक्षा संस्थान इस मंच का लाभ उठा सकते हैं और ऐसे पेशेवरों को अपने छात्रों से बात करने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं।

श्री केतन यादव ने कहा कि एवीजीसी क्षेत्र में आधारभूत प्रशिक्षण का उपयोग कई अन्य क्षेत्रों में भी करियर के लिए किया जा सकता है। उद्योग के लिए कार्यबल तैयार करने के लिए इस क्षेत्र को व्यावहारिक, गतिशील और मांग आधारित प्रशिक्षण की आवश्यकता है।

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