‘बीफ फ़ेस्टिवल’—केरल में रक्षात्मक हुई कांग्रेस

केरल में आयोजित कथित ‘बीफ फ़ेस्टिवल’ पर छिड़े विवाद के बाद कांग्रेस अपनी छवि को लेकर चिंतित दिख रही है.
कांग्रेस के नेता भी मान रहे हैं कि ये घटना पार्टी की छवि को प्रभावित कर सकती है.

दरअसल, कुछ ही दिन पहले भारत सरकार ने पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम की एक धारा में बदलाव किया.
इसके बाद जिन मवेशियों की मवेशी बाज़ार से ख़रीद होती है उनको मारा नहीं जा सकता है. इस नियम का दक्षिण भारत में विरोध हो रहा है.
इसी के तहत केरल में युवक कांग्रेस के कुछ नेताओं ने बीफ फेस्टिवल का आयोजन किया और उससे जुड़ा एक वीडियो सामने आने के बाद विवाद शुरु हो गया.
‘बीफ फेस्टिवल’ का वीडियो सामने आते ही भारतीय जनता पार्टी ने आक्रामक रुख अपना लिया और कांग्रेस रक्षात्मक नज़र आने लगी.
वीडियो में युवक कांग्रेस के कुछ नेता सरेआम एक बछड़े की जान लेते नज़र आ रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी के एक प्रवक्ता ने इसे हिंदुओं को भड़काने का काम बताया.

केरल में रक्षात्मक हुई कांग्रेस

विवाद बढ़ने लगा तो ट्विटर पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की प्रतिक्रिया आई. उन्होंने घटना की निंदा की और कांग्रेस ने वीडियो में दिख रहे नेताओं की सदस्यता निलंबित कर दी.

कांग्रेस नेता शकील अहमद ने से कहा, “इस तरह की घटना ग़लत संदेश देती हैं. ऐसी घटना से पार्टी को नुकसान होता है.”
वहीं राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व को ‘अपनी सोच की दिशा बदलनी’ होगी और उन्हें दूरगामी रणनीति बनानी हो

हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे को जिस अंदाज में उठाया है, कांग्रेस के नेता उस पर सवाल खड़े कर रहे हैं. कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि बीजेपी इस मुद्दे पर समाज को बांटने में जुटी है.
कांग्रेस की दलील
शकील अहमद कहते हैं, “उनकी यही कोशिश होती है कि कैसे समाज में बंटवारा हो, हिंदू समाज को बेवकूफ बनाकर कैसे वोट लिया जाए.”
शकील अहमद कहते हैं कि इसे गौहत्या बताया जा रहा था. बाद में मीडिया ने साफ किया कि ये गाय नहीं बल्कि बछड़ा था.
वो सवाल करते हैं कि गौहत्या की बात उठाने वाली भारतीय जनता पार्टी क्या गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों में ‘बीफ’ पर प्रतिबंध लगा सकती है?
कांग्रेस सवाल उठाकर भारतीय जनता पार्टी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश में है लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की राय में वो इस कोशिश में पिछड़ गई लगती है. उन्हें लगता है कि कांग्रेस नेतृत्व को फ़ैसले लेने की दिशा बदलनी होगी और रफ़्तार भी बढ़ानी होगी.

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