पुराने रजिस्टर्ड लोगो को GST में रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी

पुराने रजिस्टर्ड लोगो को GST में रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी, भले ही आपका टर्नओवर २० लाख से बहुत कम ही क्यों ना हो या पुराने लॉ में भी लिमिट से कम था तो भी, एक बड़ी समस्या, लेकिन केंसल की सुविधा भी

अब उन सभी लोगो को रजिस्ट्रेशन कराना है जिसका टर्नओवर २० लाख के ऊपर वर्ष के अन्दर हो जाता है ये नए रजिस्ट्रेशन के लिए है लेकिन जो पिछले लॉ में रजिस्टर्ड है इसमें गुड्स में व्यापर करने वाले और सर्विस सेक्टर वाले दोनों शामिल है वे भले ही मिनिमम लिमिट १० लाख के निचे टर्नओवर  वाले थे और वे exemption सर्कुलर के हिसाब से return भरते आ रहे थे उन्हें GST की धारा २२(२) के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी किया गया है मतलब exemption सर्कुलर नाम की कोई चीज GST में नहीं होने से आपको GST मात्र में रजिस्ट्रेशन या माइग्रेट कराने मात्र से 1 रूपये से टैक्स की लायबिलिटी आ रही है. भले ही आपका टर्नओवर बरसो से १० लाख से कम रहा हो.

सर्विस टैक्स के अंतर्गत लोगो ने शुरू में प्रोविसिओनल रजिस्ट्रेशन ले लिए या डिपार्टमेंट ने दे दिए थे चुकी कैंसलेशन की प्रक्रिया कठिन होने से लोग exemption के अंतर्गत return भरते आ रहे थे और कैंसलेशन पर ध्यान नहीं दिया. अब ऐसे सभी लोग परेशानी महसूस कर रहे है क्यों की उनका टर्नओवर २० लाख से भी बहुत कम है इसमें छोटे छोटे गावों के लोग भी बहुत ज्यादा  है जो सिर्फ और सिर्फ अंतिम उपभोक्ता को ही माल बेचते है    

ऐसे लोगो के लिए सरकार ने सोचा है और यह रास्ता निकाला है की उसे एक बार प्राविसनल रजिस्ट्रेशन करवाकर केंसल कराना पड़ेगा जो की वर्तमान में भी करना ही पड़ता. ताकि उन्हें जबरन कंप्लायंस ना करना पड़े. ऐसे लोगो की संख्या बहुत ज्यादा है. अब ऐसे भी लोग है जिनका टर्नओवर १० लाख से ऊपर और २० लाख से कम है जो पिछले लॉ (वेट,सर्विस टैक्स) में टैक्स के दायरे में आ रहे थे और अब टैक्स के दायरे में (२० लाख से कम टर्नओवर या सर्विस) नहीं आ रहे है

ऐसे लोगो को GST में इनरोल करा कर  रजिस्ट्रेशन जरुरी होने से प्राविसनल रजिस्ट्रेशन  करवाने के बाद GST रजिस्ट्रेशन को प्राविसनल ही रहने दे. (GST REG-26) भूल कर भी परमानेंट ना कराये और GST लगने के ३० दिन के अन्दर, हा बिलकुल में तो कहता हु पहले दिन ही ,फॉर्म REG-२९ में जो की प्रविसनल रजिस्ट्रेशन को केंसल कराने के लिए है. आवेदन करना ही होगा. ध्यान रहे आप इंटरस्टेट सेल्स नहीं कर पाएंगे और GST रजिस्ट्रेशन के फायदे नहीं ले पाएंगे.जैसे इनपुट टैक्स क्रेडिट.मतलब घबराने की बात नहीं है. अब दुकान के बाहर बोर्ड पर GSTIN न. लिखना जरुरी हो गया है.और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को भी डिस्प्ले करना होगा.

यदि आपने रजिस्ट्रेशन परमानेंट करा लिया है तो ऐसे केस में केंसेलेषण की प्रक्रिया बड़ी कठिन है.जिसमे आपको आपके क्लोजिंग स्टॉक पर पूरा टैक्स भरना पड़ेगा तब ही केंसल होगा. जो आगे लेख में पढ़ सकते है.

 

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